छत्तीसगढ़ी फिल्मो की गोल्डन जुबली

By Shobhna Jain | Posted on 18th Apr 2015 | मनोरंजन
altimg
अप्रैल नई दिल्ली (वीएनआई) रायपुर, 18 अप्रैल । छत्तीसगढ़ी फिल्मों को 50 बरस पूरे हो गए। 16 अप्रैल 1965 को पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म \'कहि देबे संदेश\' प्रदर्शित हुई थी। इस सौभाग्यशाली पल को और यादगार बनाने के लिए दो दिन पूर्व एक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के जनक मनु नायक को सम्मानित किया गया। इस पल के गवाह बने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के पितामह मोहनचंद सुंदरानी, विधायक श्रीचंद सुंदरानी, छत्तीसगढ़ी फिल्मों को प्रोत्साहित करने में सबसे आगे रहने वाले एडीजी राजीव श्रीवास्तव, पत्रकार तपेश जैन, अरुण बंछोर, पीएलएन लक्की, विनोद डोंगरे, फिल्म अभिनेता बॉबी खान, दीपक श्रीवास्तव। इस अवसर पर मनु नायक ने अपने पहली फिल्म के निर्माण का अनुभव बताते हुए कहा, \"माटी का कर्ज चुकाने के लिए मैंने फिल्म बनाई थी। उस समय फिल्म बनाना बड़ी चुनौती थी, फिर भी मैंने ये साहस किया। छत्तीसगढ़ी फिल्म को मैंने मुंबई से जोड़ा। गायक, कैमरामैन, कलाकार सब मुंबई से लेकर आया था। आज तो बहुत संसाधन हैं, फिर भी अच्छी फिल्म नहीं बन पा रही है। मेरी फिल्म छुआछूत पर आधारित थी।\" छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भीष्म पितामह मोहनचंद सुंदरानी ने इस ऐतिहासिक पल के किए सभी को बधाई दी। छत्तीसगढ़ी फिल्मों को प्रोत्साहित करने में सबसे आगे रहने वाले एडीजी राजीव श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सफर को याद करते हुए बताया, \"पहली फिल्म \'कही देबे संदेस\' को मां की गोद में बैठकर देखा था जो आज भी मेरे लिए अविस्मरणीय है और आज 50 साल बाद उनके निमार्ता के साथ हूं, ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है।\" विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को बढ़ावा मिले इसके लिए सब मिलकर प्रयास करें। छोटे-छोटे जगहों में थिएटर बने और इसके लिए सरकार की मदद लेनी चाहिए। गौरतलब है कि उस समय के सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी ने \'कहि देबे संदेश\' फिल्म तो विशेष रूप से देखा और खूब सराहना भी की थी। इस फिल्म को टैक्स फ्री भी किया गया था पर फ़िल्म अपनी लागत भी नहीं वसूल पाई और मनु नायक बहुत चाहकर भी कोई दूसरी फ़िल्म नहीं बना सके.इसके बाद निर्माता विजय कुमार पांडेय ने 1971 में ‘घर द्वार’ नाम से फ़िल्म बनाई. फ़िल्म के निर्देशक थे निर्जन तिवारी. फ़िल्म तत्कालीन मध्यप्रदेश के अलावा पड़ोसी राज्यों में भी रिलीज़ की गई पर 50 वर्ष पूरे होने के ्बावजूद छत्तीसगढ़ का फ़िल्म उद्योग अब भी पहचान के संकट से जूझ रहा है. हालांकि नया राज्य बनने के बाद से 150 से ज़्यादा फ़िल्में छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी हैं पर दर्ज़न भर फ़िल्मों को छोड़ अधिकांश फिल्में अपनी लागत भी वसूल नहीं कर सकीं.

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Quote of the Day
Posted on 14th Nov 2024
Today in History
Posted on 14th Nov 2024

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india