नयी दिल्ली, 28 मई ( वीएनआई) "नवीन पर्व के लियें नवीन प्राण चाहियें " के आह्वान के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रमुख विपक्षी दलों के विरोध के बीच पूरें वैदिक विधि विधान, हवन, मंत्रोच्चर और सर्व धर्म प्रार्थना के साथ नए संसद भवन को देश को समर्पित किया.कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित ्लगभग 20 प्रमुख विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया जब कि बीजेपी के साथ ही बीजू जनता दल, तेलुगुदेशम, बसपा और वाईएसआरसीपी जैसी पार्टियों के प्रतिनिधि इस भव्य समारोह में मौजूद रहें , इस अवसर पर पीएम ने साक्षात दंडवत प्रमाण करके लोकसभा अध्यक्ष के आसन के साथ यहां पवित्र राजदंड 'सेंगोल' को भी संसद भवन मे तमिलनाडु के पवित्र "अधीनम" संतों के आशीर्वाद के साथ स्थापित किया. इस दौरान पीएम ने कहा कि सेंगोल सभी को प्रेरणा देता रहेगा.
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी मौजूद थे. इस दौरान बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे. समारोह मे सर्वधर्म प्रार्थना सभा में कई धर्मों के धर्मगुरुओं ने अपनी-अपनी प्रार्थनाएं कीं. सर्वधर्म प्रार्थना में अलग-अलग धर्मों के 11 गुरुओं और प्रतिनिधियों ने पूजन किया, जिस में जैन मुनि आचार्य लोकेश ने णमोकार मंत्र का मंत्रोच्चार किया जब कि बहाई संप्रदाय की सद्स्य व बहाई भारत की राष्ट्रीय आध्यात्मिक असेंबली की नीलाक्षी राजखोवा सभा में बहाई प्रार्थना का पाठ किया.
प्रमुख विपक्षी दलो ने राष्ट्रपति द्रौपदि मुर्मु द्वारा नयें संसद भवन का उद्घाटन नहीं आमंत्रित कराये जाने को लेकर आपत्ति जताई और विपक्ष ने अपनी गहरी नाराजगी जताते हुये समारोह का बहिष्कार किया. समारोह में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के शुभकामना संदेश भी पढें गयें. नयें संसद भवन में सेंगोल को 1947 में सत्ता हस्तातंतरण से जोड़े जानें पर सवाल भी उठे. समारोह से पूर्व सुरक्षा के चाक चौबंद प्रबंध किये और आसपास के क्षेत्र की पुलिस ने पूरी तरह से घेराबंदी कर रखी थी
नये संसद भवन मे दिये गये अपने पहले भाषण में पीएम ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और नया भवन लोकतंत्र का मंदिर . देशवासियों को नये संसद भवन की शुभकामनायें देते हुये कहा कि न केवल यह भवन आत्म निर्भर और विकसित भारत का प्रतीक बने्गा बल्कि येह भी दर्शायेगा कि हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है. पी एम ने कहा कि यह भवन नये भारत का प्रतीक हैं और विकसित भारत के निर्माण में सभी के लियें प्रेरणा बनेगा.नयी संसद नयी उर्जा, नयी स्फूर्ति प्रदान करेगी. इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने भवन के निर्माण कर्य से जुड़े
श्रमिको का सम्मान किया. उद्घाटन समारोह के बाद पीएम, श्री बिरला और मंत्री, सॉसदों ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावर्कर को श्रद्धा सुमन अर्पित कियें. इस अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू का शुभकामना संदेश भी पढा गया. इस संदेश को पढ़ते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि संसद के नए भवन के उद्घाटन का ये अवसर भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज़ रहेगा. नए संसद भवन का उद्घाटन हमारी विविधता को भारतभूमि के सबसे उत्तरी छोर से दक्षिणी बिन्दु तक, पूर्वी सीमा से पश्चिमी तटरेखा तक रहने वाले सभी देशवासियों के लिए गौरव और अतुलनीय आनंद का अवसर है.
गौरतलब है कि तमिलनाडु से संबंध रखने वाले और चांदी से निर्मित एवं सोने की परत वाले ऐतिहासिक सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष केआसन के पास स्थापित किया जाएगा. अगस्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया ये रस्मी राजदंड इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू दीर्घा में रखा गया था.
इस मौके पर 75 रुपये का स्मारक सिक्का और मोहर भी जारी किया गया. 35 ग्राम वजनी ये सिक्का यह चार धातुओं से बनाया गया है. इसके एक ओर अशोक स्तंभ का शेर है, जिसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा है और बाईं तरफ देवनागरी में भारत और दाईं ओर अंग्रेजी में इंडिया लिखा है. साथ ही रुपये का प्रतीक चिन्ह भी मौजूद है. सिक्के के दूसरी तरफ नए संसद भवन की तस्वीर है.
नए संसद भवन की आधारशिला पीएम मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को रखी थी. नए भवन को गुजरात की कंपनी एचसीपी की ओर से डिजाइन किया है. इसमें लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 384 सदस्य के बैठने की क्षमता है, संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा हॉल में 1,272 सदस्य बैठ सकते हैं.
त्रिभुजाकार वाले चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है. भवन के तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार. इसमें वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं. नया संसद भवन दिव्यांगों के अनुकूल होगा और मंत्रिपरिषद के इस्तेमाल के लिए करीब 92 कमरे होंगे. नए संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई है.
वर्ष 2020 में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद को सूचित किया था कि नए भवन के निर्माण की अनुमानित लागत 971 करोड़ रुपये है. पिछले साल, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि नए संसद भवन की लागत बढ़कर 1,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है.
नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत (आत्मनिर्भर भारत) की भावना का प्रतीक है. संसद का नवनिर्मित भवन, जो भारत की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों को और समृद्ध करने का काम करेगा, अत्याधुनिक सुविधाओं से भी लैस है, जो सदस्यों को अपने कार्यों को बेहतर तरीके से करने में मदद करेगा. वीएनआई
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