नई दिल्ली, 01 अप्रैल, (शोभना जैन/वीएनआई) एक तरफ जहां आस पड़ोस के अधिकतर देशो के साथ भारत के संबंध 'असहजता' के दौर से गुजर रहे है, वहीं अब खबर है कि भारत का परंपरागत मित्र और संवेदनशील हिद महासागर क्षेत्र मे भारत के घनिष्ठ सहयोगी सेशल्स भी भारत को झटका दे रहा है. संकेत है कि दोनो देशो के बीच वर्ष 2015 मे हुई संधि, जिस के तहत भारत के साथ सेशल्स के एक द्वीप का विकास करने और ्वहा सैन्य ढांचा विकसित करने की परियोजना थी, उस परियोजना पर संसदीय मंजूरी मिलने के प्रस्ताव को ढंडे बस्ते मे डाल दिया गया है. उम्मीद थी कि इस समझौते की संसद पुष्टि कर देगी और इस परियोजना का क्रियान्वन शुरू हो जायेगा और दोनो देशो के बीच सहयोग और मजबूत होगा लेकिन इस परियोजना ्का यूं लटकना भारत के लिये चिंता का सबब है . वैसे भी हिंद महासागर क्षेत्र मे चीन की निरंतर बढती नौसैन्य मौ्जूदगी विशेष तौर छोटे द्वीपो पर उस के विस्तारवादी मंसूबो के चलते, वहा उस की बढती पैठ भारत के लिये निरंतर बढती चिंता रही है , हालांकि इसी पृष्ठभूमि से सतर्क हो कर भारत वहा पर अपनी सामरिक स्थति मजबूत करने मे जुटा हुआ है.
सेशल्स ,हिंद महासागर क्षेत्र मे छोटा सा बेहद खुबसूरत देश है, जहां लगभग दस प्रतिशत भारतवंशी है. सेशल्स के राष्ट्रपति डेनीफॉर ने हाल ही मे कहा कि भारत के साथ हुई 'अज़ोमपशन द्वीप परियोजना' संधि का संसद से पुष्टि करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन है. राष्ट्रपति का यह एलान भारतीय मूल के कद्दावर विपक्षी नेता जोन चार्ल्स रामकलावन के इस बयान के बाद आया कि अगर इस संधि को संसद मे पुष्टि के लिये रखा जाता तो वे इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे. दिलचस्प बात यह है कि श्री राम किलावन गत जनवरी मे भारत आये थे तो भारत ने उनके दल के साथ साथ राजनैतिक संपर्क बढाने के प्रयास किये थे, अब उनकी साफ ना से भारत भी हैरत है. नियमो के अनुरूप इस संधि को 2016 मे ही संसद मे पुष्टि के लिये रखा जाना था लेकिन तब की सरकार द्वारा मामला लटकाये जाने के बाद आखिरकार इसी माह इसे फिर से पुष्टि के लिये संसद मे रखा जाना था लेकिन दोनो शीर्ष नेताओ के इन बयानो से भारत को झटका लगा है.प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की 2015 मे हुई सेशल्स यात्रा के दौरान इस संधि पर हस्ताक्षर हुए थे.
भारत से 'भौगोलिक, ऐ्तिहासिक और सांस्कृतिक' रूप से जुड़े 90,000 की आबादी वाले सेशल्स का गहरा 'इंडिया कनेक्शन' है.सेशल्स की लगभग 10 प्रतिशत आबादी भारत वंशी है,जिसमे गुजराती और तमिल मूल के लोग ज्यादा है. लगभग 245 साल पहले 1770 मे पांच भारतीय काम धंधे की तलाश मे अपना घर बार छोड़ कर भारत की मालाबार् बंदरगाह से इस अजनबी देश मे डरते, सहमते उतरे और धीरे धीरे यहा की मिट्टी मे रच बस गये, इसे अपना बनाया, और इसकी तरक्की मे योगदान दिया और आज इसका अहम हिस्सा बन गये.
इस वर्ष जनवरी मे विदेश सचिव जयशंकर ने सेशल्स यात्रा के दौरान पचपन करोड़ डॉलर के इस समझौते के संशोधित ्प्रारूप पर यह उम्मीद जताते हुए हस्ताक्षर किये कि इस संशोधित समझौते से दोनो देशो के संबंध और मजबूत होंगे.तब भी उम्मीद जाहिर की गई कि संसद जल्दी इस समझौते की ्जल्द ही पुष्टि कर देगी . एक वरिष्ठ राजनयिक के अनुसार चीन इस ्क्षेत्र पर लगातार अपना वर्चस्व बढा रहा है. माल्दीव मे अपना पूरा जाल फैलाने की चीन की हरकते हम देख ही चुके है भारत के लिये यह समझौता इस मायने मे और भी अहम है कि चीन की इस क्षेत्र मे बढती मौजूदगी के मद्देनजर वह सेशल्स और मॉरीशस दोनो मे ही अपने नौ सैन्य मौजूदगी को मजबूत करना चाहता है ताकि हिंद महासागर मे उस के कदम मजबूत हो सके. दरअसल भारत और सेशल्स दोनो के लिये ही यह समझौता परस्पर लाभकारी है, भारत के लिये इस समझौते से दक्षिण हिंद महासागर क्षेत्र मे उस के जलपोतो की आवा जाही आसान हो जायेगी, इस के साथ ही वह मोजांबिक ्खाड़ी मे समुद्री दस्युओ पर अंकुश लगा सकेगा जिस से सभी देशो की जलपोतो से होने वाला व्यापार और निर्बाध तरीके से चल सकेगा और एक अन्य अहम बात, इस परियोजना से हिंद महा सागर मे चीन के विस्तारवादी मंसूबो पर कुछ हद तक अंकुश लगने की भी उम्मीद है .
'समुद्री मित्र' पड़ोसी सेशल्स व भारत के संबंध मुख्यतः समुद्री सुरक्षा सहयोग तथा विकास कार्यों मे सहयोग पर आधारित हैं. सेशेल्स के पास 13 लाख वर्गमीटर का विशाल 'ईईजेड' 'है, इस 'ईईज़ेड' की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत उसका भरोसेमंद सहयोगी रहा है. इसी कड़ी को आगे बढाते हुए एक अपतटीय राडार टोही प्रणाली का उद्घाटन किया , भारत सेशेल्स के विकास और ्प्रगति मे भी एक महत्वपूर्ण साझीदार बन कर उभरा है, भारत के सहयोग से सेशेल्स मे अनेक विकास परियोजनायं चल रही हैं शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण तथा सुरक्षा मामलो मे सहयोग दिये जाने के साथ साथ भारत का 'इंटेक' कार्यक्रम सेशेल्स मे बहुत लोकप्रिय है सेशेल्स की लगभग 1 प्रतिशत आबादी इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण ले चुकी है जिसके तह्त भारत यहां के स्थानीय लोगो को सुरक्षा मामलो तथा सूचना प्रौद्योगिकि मामलो मे प्रशिक्षण देता है,भारत का कहना है कि विशाल क्षेत्र मे फैला यह आर्थिक क्षेत्र खासा संवेदन्शील है इसी के मद्देनजर दोनो देशो ने मिल कर वह समुद्री डाकुओं की घुसपैठ रोकने, आर्थिक क्षेत्र का विस्तार करने ,वहा घुसपैठ रोकने नशीले पदर्थो का कारोबार और मानव तस्करी ्को रोकने जैसे उपाय ्कर सकेंगे.इसी क्रम मे दोनो देशो के बीच रक्षा प्रणाली को विकसित करने और मजबूत करने पर सहमति हुई.
एक पूर्व राजनयिक के अनुसार 2016 मे दोनो देशो के बीच समुद्री तट रक्षक ्प्रणाली के लागू होने से यह काम और भी प्रभावी ्ढंग से हो रहा है. भारत ने साफ तौर पर कहा भी है कि असोम्पशन परियोजना सेशल्स की ही हैइस की देख रेख दोनो देश मिल कर करेंगे.वैसे ्कुछ समय पूर्व सेशल्स के राष्ट्रपति फॉर ्ने भी यही कहा है कि यह धारणा सही नही है कि इस परियोजना के जरिये भारत वहा कोई सैन्य ढॉचा विकसित करेगा उन्होने कहा कि यह दरअसल समुद्री तट रक्षक प्रणाली ही है. वैसे पिछले माह ही मे विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने संसद मे कहा था कि यह एक संयुक्त परियोजना है.यहां यह बता दे कि भारत विपक्षी हवा उकसाने और इस समझौते को गलत रूप से प्रचारित करने के चलते ही वहा इस समझौते को ले कर जनाक्रोष भी ्बना.दरअसल कुछ समय पहले इस समझौते की प्रतिलिपि 'लीक' की गई जिस के बाद पूरे मामले की आधिकारिक तौर पर जॉच भी की गई.
सेशेल्स की 'नीली अर्थव्यवस्था' पर्यटन मछली पालन, समुद्री दोहन आदि पर आधारित है जो समुद्री खतरों से प्रभावित होती है. तमाम तरह के समुद्री खतरो पर नजर रख उन् पर अंकुश लगाने मे सहयोग देने के क्रम् मे भारत सेशेल्स को समुद्री डाकुयों से लड़ने मे विशेष सहयोग दे रहा है.वर्ष 2003 से दोनो देशो के बीच सैन्य सहयोग चल रहा है.भारत ने सेशेल्स को 2013 मे डॉरनियर 228 टोही विमान भी तोहफे मे दिया था समुद्री क्षेत्र मे खतरों से निबटने के लिये भारत ने तेज़ हमला करने वाले 'आई एन एस तारसा ' गशती जल पोत यहां के विशाल समुद्री जल सीमा पर गश्त लगाने के लिये पिछले वर्ष नवंबर मे ही तोहफे मे दिया था जो कि सेशेल्स पीपल डिफेंस फोर्सिस के लिये काफी कारगर साबित हुआ है, यह गश्ती जल पोत सेशेल्स के 'ई ई ज़ोन'की सुरक्षा के साथ साथ वहां समुद्री मार्ग से आतंकी गतिविधियो, जल दस्यु तथा गैरकानूनी रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियों पर भी रोक लगाने के लिये थ , इससे पूर्व 2005 मे भी 'पी एस टोपाज़' नाम का एक गश्ती जल पोत भारत ने सेशेल्स को तोहफे मे दिया था . वक्त वक्त पर भारत समुद्री निगरानी अभियान हाईड्रोग्राफिक सर्वे के अलावा सेशेल्स पीपल डिफेंस फोर्सिस की ट्रेनिंग मे भी सहायता देता रहता है
अगर हम यहा सेशेल्स के इंडिया कनेक्शन की ्बात करे तो यहा के नवशक्ति विनायगार मंदिर मे बड़ी तादाद मे श्रद्धालु पूजा पाठ के लिये आते है, होली दिवाली दशहरा न/न केवल भारत् वंशी यहा धूम धाम से मनाते है बल्कि उनके साथ यहा के सभी लोग उसकी मस्ती मे डूब जाते है, हिंदी फिल्मे, भारतीय खान पान यहा न/न केवल भारत वंशियो बल्कि स्थानीय लोगो सभी मे बहुत लोकप्रिय है. शाहरूख खान, अमिताभ बच्चन, प्रियंका चोपड़ा को ले कर् यहा दीवानगी है,युवा विशेष तौर पर हिंदी फिल्मी गानो की धुनो पर थिरकते है, हाल ही मे अमिताभ बच्चन की भतीजी ने अपना विवाह इसी खूबसूरत देश मे रचाया. इस परियोजना का लटकना न/न केवल दोनो देशो के लिये बल्कि अन्य सभी देशो के लिये निर्बाध नौवहन आवाजाही और अन्य सम्बद्ध करणो से खासा अहम है. साभार - लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है)
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