पाक आतंक : "दिखावटी" की जगह "प्रभावी"कदम कब?

By Shobhna Jain | Posted on 8th Jul 2019 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 08 जुलाई, (शोभना जैन/वीएनआई) इन दिनों एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव में मजबूर हो कर पाकिस्तान द्वारा आतंक के खिलाफ "कुछ कार्यवाही" करने की खबरे हैं. साफ जाहिर हैं कि कार्यवाही "दिखावटी" है,"वक्त की मजबूरी" हैं. आतंक की धुरी बना पाकिस्तान खास तौर  जिस तरह से पुलवामा आतंकी हमले के बाद  आतंक को प्रश्य देने को ले कर दुनिया भर में अलग थलग पड़ता जा रहा है. उस के चलते "अंतरराष्ट्रीय द्बाव" की वजह  से उसे यह कदम उठाना पड़ा हैं. 

पाकिस्तान  सरकार ने आतंकी गुट लश्करें-तायबा के सरगना और मुंबई आतंकी हमलों और संसद पर हुए आतंकी हमलों के दोषी दुर्दांत आतंकी हाफिज सईद और उसके कुछ सदस्यों के खिलाफ आतंकवाद के लिए धन उपलब्ध कराने के मामले में एफआईआर दर्ज की हैं, जिस के बाद हाफिज सहित उस के सभी  आतंकी साथियों की गिरफ्तारी हो सकती हैं. भारी आर्थिक संकट से ग्रस्त पाकिस्तान को "तथाकथित शुभ चिंतक मित्र देशों" के अलावा वैश्विक वित्तीय संस्थाओं से आर्थिक मदद की  दरकार हैं, वैसे यह जानना दिलचस्प हैं कि इस "दिखावटी कार्यवाही" के फौरन बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष-आईएमएफ- ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को तीन साल के लिए छह अरब डॉलर के कर्ज की मंजूरी दी है. इमरान खान की सरकार के पद संभालने के बाद बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने अगस्त 2018 में आईएमएफ से संपर्क किया था. आईएमएफ के अनुसार यह कर्ज देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने और जीवन दशा को बेहतर करने के मकसद से दिया है , इस के अलावा यह बात साफ है कि आतंकी गतिविधियों के लिये टेरर फ़ंडिंग रोकने के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) का शिकंजा पाकिस्तान पर कसता जा रहा है. इस संस्था ने हाल ही में बेहद सख़्त शब्दों में पाकिस्तान से कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद को मिलने वाले आर्थिक समर्थन को रोकने में नाकाम रहा है. उस ने गत जून की बैठक में अल्टीमेटम दिया था कि सितंबर 2019 से पहले आतंकवादी समूहों की फ़ंडिंग को रोकने के लिए अपनी कार्य योजना को लागू करे अन्यथा उसे "ग्रे लिस्ट" से "ब्लैक लिस्ट" कर दिया जायेगा यानि उस पर ्वैश्विक आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिये जायेंगे. 

हाल ही मे  जी २० शिखर बैठक मे भारत सहित ्सभी सदस्य देशों ने टेरर फंडिंग की रोकथाम मे लगी एन्सियों के बीच ग्लोबल नेटवर्क बनाने की बात कही ताकि दुनिया के सभी देश इस बुराई से  एकजुट होकर सख्ती से निबटे और  हाल की इसी मजबूरन दिखावटी कार्यवाही से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम... इसी माह २२ जुलाई को पाकिस्तान ्के प्रधान मंत्री इमरान खान की अमरीकी राष्ट्रपति से अमरीका में  पहली अहम मुलाकात प्रस्तावित हैं, उस से पहले  इस तरह की दिखावटी कार्यवाही के जरिये पाकिस्तान निश्चित तौर पर अमरीका सहित विश्व बिरादरी को बताना चाहता हैं कि वह आतंक के खिलाफ कड़े कदम उठा रहा है. 

 गौरतलब है कि भारत काफी समय से मुंबई आतंकी हमलों के सरगना, दुर्दांत आतंकी पाक नागरिक हाफिज, अजहर मसूद जैसे अनेक आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के साथ पाकिस्तान में निर्वासन में रह कर भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियॉ चलाने और मुंबई में भीषण आतंकी हमलों के साजिशकर्ता  अंडर वर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहीम को उसे सौंपे जाने की मॉग करता रहा हैं.्विचारणीय है कि मुबंई हमलों में २०० लोग मारे गये थे. अमरीका का भी मानना हैं कि दाउद का आतंकी गु्ट अल-कायदा से करीबी तालमेल हैं, इसी वजह से वह उसे वैश्विक आतंकी घोषित कर चुका हैं. अमरीका दाउद पर कार्यवाही करने के मामलें को ले कर संयुक्त राष्ट्र भी  गया ताकि दुनिया भर मे उस की सम्पत्ति फ्रीज की जा सकें. भारत के बार बार के सीमा पार आतंकी गतिविधियॉ रोकने के लिये पाकिस्तान के साथ "कभी नरम" तो "कभी गर्म" रवैये की नीति अपनाने के बावजूद पाकिस्तान का रवैया जस का तस रहा है और  सीमा पार से आतंकी गतिविधियॉ बरकरार है हालांकि पुलवामा आतंकी हमले के बाद के बाद भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को पूरी तरीके से अकेला कर दिया है. जब कभी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का दबाव बढता है तो वह आतंकी हाफिज के खिलाफ हाल के जैसे  इक्का दुक्का बनावटी कदम उठा लेता हैं. लेकिन सवाल फिर वही बना रहता हैं कि पाकिस्तान आखिर भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों  को रोकने के लिये सही मायने में प्रभावी कदम कब उठायेगा?, ऐसे कदम जो सही मायने में प्रभावी हो, ठोस हो और अपरिवर्तनीय हो. पाकिस्तान के इस कदम ्पर भारत ने साफ तौर पर कहा " पाकिस्तान आतंकी गुटों  के खिलाफ कार्यवाही करने के नाम पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की ऑखों में धूल झोंकने का प्रयास कर रहा हैं हमे इन दिखावटी  झॉसें में नहीं आना चाहिये."भारत ने कहा" वह वाकई इस तरह की कार्यवाही करने को ले कर कितना गंभीर हैं इस का फैसला "सत्यापनीय, विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय कारवाई" किये जाने के आधार पर ही किया जा सकेगा". फ़रवरी में जम्मू-कश्मीर में हुए पुलवामा हमले के बाद भी भारत ने पाकिस्तान से बेहद सख़्त शब्दों में कहा था कि वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करे। पुलवामा हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भरोसा दिलाया था कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन का एक इंच भी आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा, लेकिन हमेशा की उस की कथनी और करनी में फर्क रहा.एक तरह वह वार्ता की बात करता हैं तो दूसरी ्तरफ आतंक  जारी है. भारत का साफ तौर पर कहना हैं कि आतंक और वार्ता कतई साथ साथ नही हो सकती हैं.   
 
 जमीनी सच्चाई तो यह हैं कि हाफिज,दाउद और अजहर जैसे आतंकियों के तरह  पाकिस्तान हमेशा  बचाव करता रहा है और खास तौर पर हाफिज की  बात करें तो जब भी दुनिया ने उस पर दबाव बनाया तो उसने केवल उसे नजरबंद ही किया है| कोर्ट ने भी उसे बरी कर दिया था. दाउद, जिस के बारे में सभी को यह तक मालूम हैं कि  वह पाकिस्तान में  किस जगह रहता है,पाकिस्तान का सफेद झूठ यही रहता है कि वह पाकिस्तान मे नहीं रहता हैं.
 
अब समय आ गया हैं कि पाकिस्तान  आतंक के खिलाफ ठोस कदम उठाये, तभी न/न केवल दोनों देशों के बीच परस्पर हित के द्विपक्षीय संबंधों की शुरूआत हो सकेगी बल्कि इस पूरे क्षेत्र में  शांति,स्थिरता और प्रगति कायम हो सकेगी.समाप्त 


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