आतंक के बावजूद सहयोग - लेकिन कब तक

By Shobhna Jain | Posted on 19th Apr 2020 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 19 अप्रैल, (शोभना जैन/वीएनआई) एक तरफ भारत सहित दुनिया कोरोना के वैश्विक संकट से राष्ट्रीय स्तर पर जूझने के साथ इससे सामूहिक सहयोग और  सामूहिक प्रयासों से निबटने में लगी है, और भारत भी इस लड़ाई में "मानवीय आधार" पर  बिना किसी भेद भाव के  सहयोग देने में लगा हैं।लॉक डाउन की वजह से भारत में फंसे अन्य देशों के नागरिकों की तरह पाक नागरिकों भी उन के देश  पहुंचाने की व्यवस्था कर रहा है, कोरोना के ईलाज में कुछ वर्गों के लियें इस्तेमाल की जा रही  हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) दवा जहा 55 देशों को भेज रहा है। वहीं यह दवा पाकिस्तान को दिये जाने के उस के आग्रह पर विचार कर रहा है,लेकिन इस सहयोग के बावजूद  ऐसे विकट समय में भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी आतंकी गतिविधियॉ जारी रखे हुए हैं, और इस आपदा से दक्षेस देशों के एक जुट हो कर साझा तौर पर निपटने की भारत की पहल में अपने आचरण के अनुरूप अड़ंगें डाल ही रहा हैं। 

कोरोना संकट काल में पाकिस्तान ने कोरोना से युद्ध लड़नें को प्राथमिकता देने की बजाय नियंत्रण रेखा को युद्ध क्षेत्र बनाने और आतंकी गतिविधियॉ न/न केवल बदस्तूर जारी रखने बल्कि उन्हें बढाने की प्राथमिकता तय कर ली हैं । सरहद पर उस की गोली बारी जारी हैं, सीमा पर रहने वाले निर्दोष भारतीय कोरोना से ज्यादा पाक आतंक़ के शिकार हो रहे हैं। भारत लगातार इन मामलों में कड़ा विरोध जताता रहा हैं, रक्षात्मक कार्यवाही करने पर मजबूर भी हो रहा हैं लेकिन साथ ही  जब पाकिस्तान मदद देने की गुहार करता हैं तो मानवीय आधार पर यह भारत की परंपरा हैं वह उसे मदद भी देता हैं। कोरोना से निबटने में देश की प्राथमिकताओं और जरूरतों को सर्वोपरि रखते हुए भारत दुनिया भर के देशों की जरूरतों के अनुसार उन्हें भी आवशय्क दवायें वगैरह  उपब्ध करा रहा है, उन के अनुरोध पर लॉक डा उ न की वजह से भारत में फंसे नागरिकों को उन के देश भिजवा रहा हैं, और इन में पाकिस्तान भी शामिल हैं। सवाल हैं कि पाकिस्तान आखिर  आखिर अपनी नापाक हरकतों से बाज क्यों नहीं आता। कौन  से ऐसे समीकरण हैं , जब कि कि ऐसे वक्त उसे अपने देश की जनता को कोरोना की तकलीफों से बचानें की और पूरा ध्यान देना चाहियें था, साथ ही क्षेत्रीय सहयोग से इस आपदा  से निबटने को प्राथमिकता देनी चाहिये थीं,एक तरफ वह भारत से सहयोग की दरकार करता हैं तो दूसरी तरफ उस की प्राथमिकता  भारत के खिलाफ सीमा पार का आतंक बना हुआ हैं,और खुद उस के नागरिक भी उस की इस नापाक करनामों का अंजाम भुगत रहे है।

यहा बात खास तौर पर कोरोना संकट काल में पाकिस्तान की बढी हुई आतंकी गतिविधियों की करें तो अब भी  पाकिस्तान ने कोरोना के खिलाफ युद्ध से ज्यादा अपनी  प्राथमिकता  आतंकी गतिविधियॉ ,सरहद पर गोलीबारी  कर रखी है।नियंत्रण रेखा पर वह फायरिंग कर रहा है।कश्मीर को ले कर अपना प्रलाप जारी रखे हुए हैं।पाकिस्तान की इस अमानवीय हरकत से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के आसपास रहने वाले लोगों के लिए दोहरा संकट पैदा हो गया है। पाकिस्तान पिछले महीने से एलओसी और आईबी के आसपास की सैन्य चौकियों और वहां रहने वाले ग्रामीणों पर गोलाबारी कर रहा है जिसमें कई लोग हताहत हुए हैं और काफी मकान तबाह हो गए,  घुसपैठियों ने जम्मू के कुपवाड़ा, पुंछ और राजौरी जिलों में एलओसी के रास्ते भारत में घुसने की कई कोशिशें की हैं।और  यह तो वो कर ही रहा हैं कि एक तरफ भारत से सहयोग की दरकार और दूसरी तरफ  कोरोना से निबटने की भारत की दक्षेस देशों की तमाम पहलों पर निहायत ही असहयोग कारी या यूं कहे अड़ंगा भी लगा रहा हैं।

विदेश मंत्रालय में पूर्व सचिव  विवेक काटजू के अनुसार "पिछले एक माह में भारत ने कोरोना से  निबटने में  सार्क के जरियें  क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग करने  की जो भी पहल की हैं , पाकिस्तान लगातार उस में शामिल होने से इंकार करता रहा हैं, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षेस देशों के शिखर नेताओं के साथ वीुडियों कॉफ्रेंस के जरियें शिखर बैठक के जरियें मिल कर कर साझा रणनीति बनाने की जो पहल की थी, पाक प्रधान मंत्री इमरान खान उस में शामिल नहीं हुए और अपने प्रतिनिधि को भेज दिया, हालांकि अन्य सभी दक्षेस शिखर नेता इस बैठक में मौजूद रहे। इस विकट समय में  व्यापार संबंधी पेचीदगियों पर विचार करने के लिये  दक्षेस अधिकारी स्तर  की बैठक में हिस्सेदारी नही की, भारत ने  दक्षेस कोरोना कोष के लियें एक करोड़ डॉलर का जो अंशदान दिया था, उस में भी पेंच फंसाते हुए उस ने कहा कि इस राशि को सार्क सचिवालय द्वारा बॉटा जायें। कुल मिला ्कर कहा जायें तो पाकिस्तान इस बात को पूरी तरह से नजरदांज कर रहा हैं कि असाधारण समय में  असाधारण तौर तरीकें और प्रक्रिया अपनानी होती हैं,वैसे देखा जायें तो  वह अपना रवैया इस लियें भी बदलनें को तैयार नही हैं क्यों कि उसे लगता हैं कि अफगानिस्तान के संदर्भ में अमरीका को उस की जरूरत हैं और फिर उसे यह तो लगता  ही हैं कि उस का पक्का, भरोसेमंद  साथी चीन कोरोना संकट का सामना करने के लियें उस ्का साथ देगा ही।पाकिस्तान का मौजूदा रवैया भारत के प्रति गहरी, बेवजह की शत्रुता का ही एक और सबूत हैं।इसी वजह से वह उस खतरें को मान नहीं रहा हैं जिस से जनता को बेहद यंत्रणा झेलनी पड़ सकती हैं। हालांकि ऐसे में जरूरबात की हैं कि वह अपना रवैया बदलें, आत्मावलोकन करें"। 

 एक तरफ पाकिस्तान का पूरा तंत्र,पाकिस्तानी सेना यह हरकतें अंजाम दे रही हैं,दूसरी तरफ भारत मानवीय आधार परअपने यहां फंसे उसके नागरिकों की सुरक्षित वापसी के इंतजाम में जुटा है दरअसल, भारत का विदेश मंत्रालय कई विदेशी मिशनों को भारत में फंसे उनके नागरिकों को वापस निकालने में मदद कर रहा है, ऐसे में पाकिस्तानी उच्चायोग ने भी अपने 180 नागरिकों की वापसी का इंतजाम करने की गुहार लगाई।  भारत  ने पाकिस्तान के उस अनुरोध को स्वीकार लिया है जिसमें  41 पाकिस्तानी नागरिकों को वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान भेजने का अनुरोध किया था। विदेश मंत्रालय को लिखी चिट्ठी में पाकिस्तान उच्चायोग ने कहा था कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान के करीब 41 नागरिक कोरोना और लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं। लॉकडाउन की वजह से इनको गाड़ियों में सड़क मार्ग से वाघा बॉर्डर तक भेजने की इजाजत दी जाए।ये सभी कल अपने वतन वापस भेज दिये गयें। गौरतलब हैं कि भारत अभी तक 48 देशों के लगभग  35,000  विदेशी नागरिकों को उन के देशों से आयें अनुरोध के बाद उन के देश भेजने की वयवस्था कर वापस भेज चुका हैं।गौरतलब हैं कि  करीब 205 भारतीय नागरिक भी  पाकिस्तान में फंसे हुए हैं, जिन्हें वहा से लाने के प्रय़ाआसों मे विदेश मंत्रालय जुटा हैं।भारत से दवा दियें जाने के आग्रह की बात करें तो अभी कम से कम 55 देशों ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) दवा को खरीदने का आग्रह किया है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे  देश भारत से इस दवा को खरीद रहे हैं लेकिन गुआना, डोमिनिक रिपब्लिक, बुर्कीनो फासो जैसे  देश भी हैं जिन्हें भारत अनुदान के तौर पर इन दवाओं की आपूर्ति करने जा रहा है। अमेरिका, मॉरिशस और सेशेल्स जैसे कुछ देशों को तो कुछ दिनों पहले ही यह टैबलेट भेजा जा चुका है, बाकी देशों को इस सप्ताह के अंत तक ड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप भेजी जा रही हैं।

्बढतें पाक आतंकी गतिविधियों की बात करें तो हाल ही में गुजरात  के समुद्र तट के निकट मछली पकड़ने वाली दो भारतीय नौकाओं पर पाकिस्तान  समुद्री सुरक्षा एजेंसी के हमले पर भारत चेतावनी भी दे चुका है कि इस तरह का जघन्य कृत्य फिर नहीं दोहराए।ऐसी खबरें थी कि पाकिस्तानी एजेंसी के कर्मियों ने  कुछ दिन पहले मछली पकड़ने वाली दो भारतीय नौकाओं  पर सवार भारतीय मछुआरों पर निशाना साधा। भारत ने 'जानबूझकर किए  गए इस हमले' के लिए और भारतीय मछुआरों पर गोलीबारी के लिए पाकिस्तान को कड़ा विरोध पत्र  भी जारी किया।कुपवाड़ा में पाकिस्तान की तरफ से की गई फायरिंग में तीन नागरिकों की मौत के बाद विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को चेतावनी दी । जम्मू-कश्मीर में लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहे पाकिस्तान को भारत ने एकबार फिर फटकार लगाते हुआ ऐसी हरकतों से बाज आने को कहा है।जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के फैसले के बाद पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं बढ़ गयी हैं। भारतीय सैनिकों ने भी पाकिस्तान की कार्रवाई का करारा जवाब दिया है।

भारत पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों के बावजूद मदद मॉगने पर मानवीय आधार पर उसे मदद दे रहा हैं, लेकिन पाकिस्तान को समझना  होगा कि आतंक के बावजूद सहयोग आखिर कब तक।।।भारत मानवीय आधार पर खास तौर पर एक पड़ोसी की मदद करता हैं तो पाकिस्तान को भी एक पड़ोसी देश की अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।


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