नई दिल्ली, 7 मई (शोभना/जैन) भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तल्खियों के बीच दोनो देशो ने हाल ही में आपसी रिश्ते सुधारने की मंशा से लंबे समय के बाद एक बार फिर अनौ्पचारिक वार्ता की यानि संबंधो मे आयी तल्खियो को दूर करने के लिये 'ट्रैक टू डिप्लोमेसी' के तहत इसी सप्ताह 'नीमराणा संवाद' ्प्रक्रिया इस्लामाबाद मे की गयी. हालांकि यह अनौपचारिक वार्ता इस्लामाबाद की पहल पर हुई पर् भारत मे वरिष्ठ विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत करते हुए नौ सदस्यीय शिष्ट मंडल के साथ इस वार्ता मे हिस्सा लिया.
बातचीत खुले माहौल मे हुई और विवाद के सभी मुद्दो पर चर्चा भी हुई, परंतु इस अनौपचारिक वार्ता के लिये बाद मे यह सवाल पूछा जा रहा है कि लगभग तीन वर्ष बाद हुई इस वार्ता से क्या राजनैतिक संदेश निकलता है, आखिर दिल्ली से सटे राजस्थान के 'नीमराणा किले' से निकला रास्ता दोनो देशो को किस तरफ ले जायेगा?.क्य़ा एनडीए सरकार की पाकिस्तान नीति मे कुछ बदलाव नजर आ रहा है? क्या इस वार्ता से दोनो देशो के बीच सरकारी स्तर पर वार्ता शुरू करने के लिये जमीन तैयार की जा रही है? फिर भारत की इस सोची समझी नीति का क्या होगा कि जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियॉ बंद नही कर देता , दोनो के बीच वार्ता का माहौल कतई नही बन सकता है, ऐसे तमाम सवाल एक बार फिर हवा मे तैर रहे है.
बहरहाल सरकारी सूत्रों ने वार्ता के बाद साफ तौर पर कहा कि सरकार की पाकिस्तान नीति मे कोई बदलाव नही है, बंदूको की गर्जना के बीच बातचीत कतई संभव नही है. सूत्रो का कहना है कि इस मुलाकात के ज्यादा मायने निकालना उचित नही है यह मुलाकात दोनो देशों की सिविल सोसायटी और दोनो देशों की जनता के बीच आपसी संपर्क बढाने की नियमित प्रक्रिया का ही हिस्सा है. इसे इस नजर से नही देखा जाये कि इस तरह की वार्ता के जरिये दोनो देशो के बीच आधिकारिक वार्ता के लिये आधार तैयार किया जा रहा है. लेकिन इन तमाम स्पष्टीकरणों के बीच यह सवाल उठ रहा हैं कि एक तरफ जहा पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियॉ जारी रखे हुए है, कश्मीर में आतंकवाद को प्रश्रय देना जारी रखे हुए है, पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम का उल्ल्लंघन किया जा र्हा है, ऐसे में इस 'ट्रैक टू डिप्लोमेसी' की फिर से शुरूआत से क्या संदेश निकलता है. दरअसल इस प्रक्रिया के जरिये ये ही संदेश निकलता है कि भले ही दोनो देशो के बीच पाक की नापाक हरकतों की वजह से आधिकारिक वार्ता नही हो रही है लेकिन दोनो देशो के बीच गैर आधिकारिक स्तर पर आपसी संबंधो मे आयी तल्खियो को दूर रख मिल बैठ कर समस्या वाले मुद्दो पर बातचीत के सिलसिले को शुरू किया जा रहा है.
1990 के दशक की शुरूआत में राजस्थान के नीमराणा किले से इस अनौपचारिक संवाद की शुरूआत हुई थी, जिस मे दोनो देशों के वरिष्ठ विशेषज्ञ मिल बैठ कर तल्खियॉ कम करने और रिश्तो को सहज बनाने का रास्ता खोजते है। साल 2016 में पाकिस्तान के संगठनों द्वारा किये गये आतंकी हमलों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के खिलाफ लगातार हमलों के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव और बढ गया था और 'ट्रैक टू डिप्लोमेसी' यानि अनौपचारिक वार्ता भी रूक गई. नीमराणा संवाद के तहत दोनों देशों के बीच 28 से 30 अप्रैल के बीच यह बैठक हुई, इसमें भारतीय दल ्मे पूर्व केबीनेट सचिव सुरेन्द्र सिंंह, विदेश मंत्रालय मे पूर्व सचिव विवेक काटजू , राजदूत राकेश सूद जाने माने शिक्षाविद जेएस राजपूत, ले जनरल अभय सिंह जैसे विशेषज्ञ शामिल थे।
पाकिस्तानी दल का नेतृत्व वहां के पूर्व विदेश सचिव इनामुल हक ने किया। पाक दल में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पूर्व गवर्नर इशरत हुसैन भी शामिल थे। पाक में जुलाई में प्रस्तावित आम चुनाव के दौरान कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर हुसैन के नाम की भी चर्चा है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर बातचीत की। एक सूत्र के अनुसार ‘‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की और इस बात पर सहमति जतायी कि दोनों देशों के बीच सभी मुद्दे बातचीत के जरिये सुलझाये जाने चाहिए।’’वैसे दोनो देशो के रिश्तों मे हाल ही में एक और सकारात्मक कदम उठाने की दोनो ने ही पहल की है भारत ने कहा था कि वह शंघाई सहयोग संगठन की रूपरेखा के तहत रूस में कई देशों के आतंकवाद निरोधक अभ्यास में पाकिस्तान के साथ भाग लेगा।
सूत्रों ने बैठक में चर्चा के विषयों के बारे में बताया कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद, कश्मीर, सियाचिन, सर क्रीक, नियंत्रण रेखा पर तनाव, सिंधु नदी जल बंटवारा तथा अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा की। इस के साथ ही पाकिस्तान् ने इस वार्ता मे एक बार फिर दक्षे्स शिखर बैठक के आयोजन का प्रस्ताव फिर से रखा. पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियॉ जारी रखने से भारत ने इस सम्मेलन मे हिस्सा नही लेने का फैसला किया था जिस के बाद यह शिखर बैठक नही हो सकी. अगर पाकिस्तान की मेजबानी मे यह शिखर बैठक होती है तो दक्षेस चार्टर के अनुसार प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बैठक मे हिस्सा लेंना होगा लेकिन सूत्रो ने जोर दे कर कहा कि पाकिस्तान की हरकतों की वजह से आज के हालात मे श्री मोदी के इस शिखर बैठक मे हिस्सा लेने की कोई उम्मीद नही है.वैसे इस बैठक मे पाकिस्तान ने एक बार फिर् कश्मीर राग अलापा और कश्मीर मे मानवाधिकारो के कथित उल्लघंन का आरोप फिर से लगाया जिस के जबाव मे भारतीय पक्ष ने जोर दे कर कहा कि कश्मीर की घटनाये भारत का आंतरिक मामला है, संबंधो को सामान्य बनाने मे इस तरह के आरोप सामान्यीकरण की प्रक्रिया को आगे नही ले जा सकते है.सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष अपने प्रस्ताव विचार, सिफारि्शे के लिए अपनी अपनी सरकारों को सौंपेंगे। श्री काट्जू ने भी इस वार्ता के बारे मे कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार किया. 'ट्रैक दो' की वार्ता को पूरी तरह गुप्त रखा गया और आयोजकों ने इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी साझा नहीं किया लेकिन सरकारी शीर्ष सूत्रो ने इस ्सवाल पर कोई टि्प्प्णी नही की कि क्या इस वार्ता को दोनो देशो की सरकारो का समर्थन हासिल था? अलबत्ता यह बात भी सच है कि इस तरह की अनौपचारिक वार्ता को दोनो देशो की सरकारो का समर्थन हासिल होता ही है.
पाक स्थित आतंकियों द्वारा मुबंई आतंकी हमलों, भारत में पठानकोट और उड़ी में किए गए हमले और भारत की तरफ से जवाबी कार्रवाई करते हुए गुलाम कश्मीर में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक से दोनों देशों के संबंध और भी तनावपूर्ण चल रहे हैं। वहीं पाक द्वारा जासूसी का आरोप लगाकर नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाने के कारण संबंध और खराब हुए हैं। दरअसल भारत और पाक के रिश्तों पर जमी बर्फ के बीच को पिघलाने की मंशा से यह वार्ता शुरू 'ट्रैक-2 कूटनीति' की प्रक्रिया बहाल करने के लिए इस्लामाबाद का दौरा किया। कूटनीतिक सूत्रों का मानना है कि पाकिस्तान अगर अपने रूख मे बदलाव करके विश्वास बहाली का माहौल बनाता है तो इस दौरे से मूल 'ट्रैक-2' पहल 'नीमाराना डायलॉग' को नई शुरुआत मिल सकती है। बहरहाल बातचीत का सिलसिला कुछ आगे बढा तो है लेकिन पाकिस्तान मे जल्द ही चुनाव होने वाले है, ऐसे मे पाकिस्तान मे नयी सिविल सरकार के गठन के बाद ही औपचारिक वार्ता ्की बात सोची जा सकती है उस के लिये भी पाकिस्तान को पहले भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को बंद करना होगा. फिलहाल यह सवाल तो बना ही हुआ है कि नीमराणा के किले से दोनो देशो के बीच शक शुबहे के माहौल को दूर करने तथ आपसी भरोसा कायम कर विचाराधीन मुद्दो को हल करने के लिये क्या रास्ता बन पायेगा. साभार - लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है)
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