ब्राज़ीलिया 13 मई (वीएनआई)ब्राज़ील की राष्ट्रपति'आयरन लेडी' ज़िल्मा रुसेफ़ के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव सीनेट में पारित होने के बाद मिशेल टेमर ने अंतरिम राष्ट्रपति बन गये हैं, 70 वर्षीय टेमर ब्राजील की सेंटर-राइट पार्टी पीएमडीबी के सदस्य हैं और नई सरकार बनाकर वे देश को आर्थिक मंदी से उबारने के मुद्दे पर काम करना चाहते हैं अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर टेमर ने देश को संबोधित ्करते हुए कहा , "ब्राज़ील के लोगों के मूल्यों और देश की अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की हमारी क्षमता पर भरोसा करें." गौरतलब है कि ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रॉसेफ को महाभियोग की सुनवाई का सामना करने निलंबित कर दिया गया है और सत्ता उप राष्ट्रपति एवं मौजूदा समय में उनके सबसे बडे राजनीतिक शत्रु माइकल टेमर ने सत्ता संभाल ली है , मार्च में रुसेफ़ की सरकार से समर्थन वापस लेने से पहले टेमर वामपंथी रुसेफ़ की सरकार में उपराष्ट्रपति थे. ज़िल्मा रुसेफ़ ने आरोप लगाया है कि टेमर 'तख़्ता पलट' में शामिल थे, इसी के साथ लातिन अमेरिका के इस सबसे बडे देश में 13 साल के वाम शासन का पटाक्षेप हो गया है.
अब टेमर बहुत जल्द नई सरकार की घोषणा की तैयारी कर रहे हैं। इसी के मद्देनज़र उन्होंने व्यापार को बढ़ावा देने वाले एक मंत्रिमंडल को नामित किया है, जिसमें सेंट्रल बैंक के पूर्व प्रमुख हेनरिक मीरेलस को वित्त मंत्री बनाया गया है.उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता ब्राजील की आर्थिक मंदी का निवारण करना और मौजूदा राजनीतिक संघर्ष के दौरान कांग्रेस (संसद) में पैदा हुई पंगु वाली स्थिति को दूर करना है। -
गौरतलब है कि ज़िल्मा रुसेफ़ के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव के मद्देनज़र 20 घंटे से ज़्यादा देर तक चले सीनेट में के सत्र में करीब 22 घंटों की चर्चा के बाद गुरुवार को ब्राजील की पहली महिला राष्ट्रपति 68 वर्षीय डिलमा के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ। निलंबन वाले प्रस्ताव के पक्ष में 55 और विपक्ष में 22 मत पडे।
उधर ज़िल्मा रुसेफ़ ने ख़ुद को हटाने जाने की कड़ी आलोचना की है और इसे एक 'षडयंत्र' और 'तोड़-फोड़ की कार्रवाई' बताया है.उन्होने फिर से अपने ऊपर लगे आरोपों को ख़ारिज़ किया. उन्होंने कहा कि यह क़ानूनी तरीक़े से हुआ 'अन्याय' है और वो इसके ख़िलाफ़ लड़ेंगीं.
उल्लेखनीय है कि डिलमा पर आरोप है कि उन्होंने बजट अकाउंटिंग कानूनों का उल्लंघन किया है। अब उनके खिलाफ महाभियोग की सुनवाई में महीनों का समय लग सकता है और अगर दो तिहाई बहुमत से फैसला उनके खिलाफ हुआ तो फिर उन्हें स्थायी रूप से राष्ट्रपति के पद से हाथ धोना पड़ सकता है।