"कचरा मुक्त स्वीडन" से भारत को सीख

By Shobhna Jain | Posted on 21st Aug 2018 | देश
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स्टॉकहोम/नई दिल्ली,  21 अगस्त (वीएनआई) हमारे गॉवों, कस्बों, और शहरो में जगह, जगह गंदगी और कूडे के ढेर के चिर परिचित मंजर से निबटने और अपने ईलाकों को साफ सुथरा रखने और वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्वीडन से सीख लेने की जरूरत है। यूरोपीय देश स्वीडन "जीरो गारबेज" यानी "कचरा  मुक्त राष्ट्र" घोषित हो चुका है। यह कामयाबी सरकारी सिस्टम की बदौलत नहीं बल्कि वहां के प्रकृति से प्रेम करने  और पर्यावरण प्रेमी नागरिकों के प्रयास से मिली है।

दरअसल वहा घरों से रोजाना निकलने वाले कूड़े को एक ही डस्टबिन में भरकर देने के बजाय कचरे को घरों में ही पहले सेग्रीगेट (छंटाई) कर दोबारा उपयोग में लाए जाने वाले सामान को रखकर बाकि का कचरा रिसाइकिंलग स्टेशन पर भेज दिया जाता है। अब तो हालत यह हो गई है कि खास बात यह है कि रिसाइकिंलग स्टेशनों पर घरों से निकलने वाला कचरा बहुत कम पहुंचने के कारण अब स्वीडन को अपने वेस्ट मैनेजमेंट प्लांटों को चलाने के लिए बाहर के देशों से कचरा आयात करना पड़ रहा है।

दरअसल स्वीडन ने राष्ट्रीय रिसाइकलिंग नीति बना रखी है। इस काम को निजी कंपनियों को सौंपा गया है। कचरे से पैदा हुई ऊर्जा का इस्तेमाल सर्दी के दिनों में घरों को गर्म करने के लिए की जाती है। कड़ाके की ठंड में घरों को गर्म करने अलावा कचरे से बनी बिजली घरों को रोशन कर रही है। 1985 से स्वीडन 99 फीसद कचरे को रिसाइकिल कर रहा है।कुछ समय पूर्व जारी ऑकड़ों के अनुसार  स्वीडन में मौजूद 32 रिसाइकि¨लग प्लांटों में कचरे से बिजली पैदा की जाती है जो 8.1 लाख घरों को रोशन कर रही है। स्‍वीडन में कूड़े की कमी हो गई है और उसे अपने लिये बाहर देशो से कूड़ा मंगाना पड़ रहा है!

अपनी जरूरत की लगभग आधी बिजली नवीकरणीय पदार्थों से पैदा करने वाला स्‍वीडन की रीसाइकलिंग इतनी बेहतरीन है कि वहा कूड़ा रह ही नही पाता है.विशेषज्ञो के अनुसार रीसाइकलिंग करने वाले उसके संयंत्र इतने बेहतरीन है कि उसे अपने रीसाइकलिंग संयंत्रों को चलाने के लिए दूसरे देशों से कूड़ा आयात करना पड़ रहा है. स्‍वीडन 1991 में जीवाश्‍म ईंधनों पर भारी कर लगाने वाले पहले देशों में शामिल है.स्वीडन की रीसाइकलिंग पर अतयंत प्रभावी राष्ट्रीय नीति है

स्‍वीडन का रीसाइकलिंग सिस्‍टम इतना सक्षम है कि पिछले वर्ष वहां के घरों से उत्‍पन्‍न होने वाले कचरे के एक फीसदी से भी कम हिस्‍से को जमीन में दबाने की जरूरत पड़ी. वहां लोगों को सालों से इस बात को लेकर प्रेरित किया कि वे ऐसी चीजों को कतई बाहर न फेकें, जो रीसाइकल या फिर से इस्‍तेमाल की जा सकें. स्वीडन के लोग प्रकृति के तौर-तरीकों में रहना और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर क्‍या करना चाहिए इसे लेकर खासे जागरूक हैं.

स्‍वीडन ने नेशनल रीसाइकलिंग पॉलिसी लागू की है ताकि निजी कंपनियां भी ज्‍यादातर कूड़े का आयात करने और उसे जलाने का काम अपने हाथ में ले सकें. इससे प्राप्‍त ऊर्जा नेशनल हीटिंग नेटवर्क में चली जाती है और इसका इस्‍तेमाल अत्‍यधिक ठंड के समय घरों को गर्म रखने के लिए किया जाता है. खास बात यह भी कि यूरोपियन यूनियन के देशों में कूड़े को जमीन में दबाना प्रतिबंधि‍त है, इसलिए जुर्माना भरने की बजाय वो इसे स्वीडन भेज देते हैं. रिपोर्ट के अनुसार स्‍वीडन की नगरपालिकाएं ऐसे क्षेत्रो मे सक्रियता से काम कर रही है,मसलन रिहाइशी इलाकों में स्‍वचालित वैक्‍यूम सिस्‍टम, जिससे कूड़े के परिवहन की जरूरत नहीं रहेगी, साथ ही भूमिगत कंटेनर सिस्‍टम जो कि सड़कों को कूड़े के परिवहन और दुर्गंध से मुक्ति दिलाएगा.


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