नई दिल्ली, 05 मार्च, (शोभना जैन/वीएनआई) भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जब पिछले माह जोर्डन की राजधानी अम्मान से फलस्तीन की यात्रा पर जा रहे थे तो इजरायल के हेलीकॉप्टरो साथ जोर्डन के हेलीकॉपटर भी प्रधान मंत्री मोदी के हेलीकॉप्टर को सुरक्षा देने के लिये उनके हेलीकॉपटर के साथ उड़ान भर रहे थे. इस दृश्य से पश्चिम एशिया मे भारत और जोर्डन दोनो की अच्छी साख समझी जा सकती है. जोर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन कल सम्पन्न हुई भारत यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है,द्विपक्षीय संबंधो को मजबूत करने के साथ ही यह यात्रा ऐसे वक्त हुई जबकि इस्लाम के नाम पर चरम पंथ भारत सहित दुनिया भर मे अपना भयावह ्विद्रूप चेहरा दिखा रहा है और जोर्डन और भारत दुनिया भर मे इस भयावहता के खिलाफ टक्कर ले रहे अंतर राष्ट्रीय समुदाय केमजबूत स्तंभ मआने जाते है. दरसल शाह दुनिया भर मे धार्मिक कट्टरता के खिलाफ मुखर आवाज माने जाते है और इस्लाम में आधुनिकीकरण के पैरोकार माने जाते है.वे पैगंबर मोहम्मद की 41वीं पीढ़ी से हैं और येरुशलम में स्थित इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद के संरक्षक हैं. इस्लाम में आधुनिकीकरण के पैरोकार और उन्होने अरब देशो मे लोकतंत्र की तेज बयार के झोंके के साथ आये अरब स्प्रिंग़ के क्षेत्र से पटरई से उतरने के बावजूद अपने देश मे सुधारो का सिलसिला जारी रखा और आज जोर्डन एक उदार इस्लामी प्रगतिशील देश है और वे प्रगतिशील इस्लामी राष्ट्र के शाह.उन्होंने इस्लाम के नाम पर चल रहे कट्टरपंथ को खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए हैं ऐसे मे उनकी भारत यात्रा को खास तौर पर धार्मिक कट्टरता के खिलाफ शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के संदेश ्के रूप मे भी देखा जा रहा है.
भारत उन सभी इस्लामी देशों से अपने रिश्ते बढ़ाने की मुहिम चला रहा है जो कट्टरता और आतंकवाद के खिलाफ माने जाते हैं.माना जा रहा है कि जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला आतंक विरोधी अभियानों में भारत के लिए काफी मददगार हो सकते हैं. कश्मीर मामले में भी जॉर्डन ने १९७० के बाद से ही ऑर्गनाईजेश्न ऑफ इस्लामिक ओ आई सी के अधिकतर देशो से हट कर निष्पक्ष रवैया अपनाया है. दरसल कल विज्ञान भवन मे शाह के साथ एक समारोह मे प्रधान मंत्री मोदी ने ्शाह के धार्मिक कट्टरता के खिलाफ उठाये जा रहे प्रयासो के प्रंशसा करते हुए कहा कहा भी कि भारत उन के साथ कंधे से कंधा मिला कर उन के साथ चलेगा. उन्होने कहा कि हमारी विरासत और मूल्य, हमारे मज़हबों का पैगाम और उनके उसूल वह ताक़त हैं जिनके बल पर हम हिंसा और दहशतगर्दी जैसी चुनौतियों से पार पा सकते हैं इंसानियात के ख़िलाफ़ दरिंदगी का हमला करने वाले शायद यह नहीं समझते कि नुकसान उस मज़हब का होता है जिसके लिए खड़े होने का वो दावा करते हैं. शाह ने भी इस आयोजन मे कहा आतंक क के खिलाफ लड़ाई को किसी मजहब के खिलाफ नही बल्कि हिंसा और नफरत के खिलाफ है
दरसल जॉर्डन उन चुनींदा मुस्लिम देशों में से है, जिनका कूटनीतिक रिश्ता मध्य-पूर्व में भारत के सबसे मजबूत सहयोगी इजरायल के साथ भी है और भारत की ही तरह वह इजरायल के साथ साथ दो रष्ट्र सिद्धांत का पालन करते हुए फलस्तीन मे भी स्थरता रखने और वहा की संप्रभुता का समर्थक है. साभार : लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है)
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