नई दिल्ली/वाशिंगटन,13फरवरी( शोभनाजैन/वीएनआई )भारत ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने के अमरीकी प्रशासन के फैसले पर आज कडा विरोध जताते हुए अमेरिकी राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा को आज यहां विदेश मंत्रालय मे तलब करके अपना औपचारिक विरोध और और निराशा जताई। विदेश सचिव एस जयशंकर ने आज शी वर्मा को साउथ ब्लॉक में तलब कर उन्हें पाकिस्तान को अमेरिकी सैन्य मदद को लेकर भारत की चिंताओं के बारे में बताया। भारत का मानना है कि इस प्रकार की सैन्य मदद का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है।
इसी बीच विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के निर्णय पर अपनी निराशा व्यक्त करने के लिए एक कड़ा बयान जारी किया। मंत्रालय ने इस बात पर भी असहमति व्यक्त की कि इस प्रकार हथियारों दिये जाने से आतंकवाद से निपटने में मदद मिलेगी। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, हम पाकिस्तान को एफ 16 विमानों की बिक्री को अधिसूचित करने के ओबामा प्रशासन के निर्णय से निराश है। हम इस तर्क से असहमत है कि इस प्रकार हथियारों के हस्तांतरण से आतंकवाद से निपटने में मदद मिलती है।मंत्रालय ने कहा, इस संबंध में पिछले कुछ वर्षों के रिकॉर्ड से यही बात साबित भी होती है
ओबामा प्रशासन ने कहा है कि उसने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम आठ एफ-16 लड़ाकू विमान पाकिस्तान को बेचने का निर्णय लिया है जिनकी कीमत करीब 70 करोड़ डॉलर है। प्रस्ताव अब अमेरिकी कांग्रेस में चला गया है जिसके पास इस पर निर्णय लेने के लिए 30 दिनों का समय है। पाकिस्तान को लडाकू विमानों की प्रस्तावित बिक्री रोकने की अमेरिकी सांसदों की मांग के बावजूद ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान को आठ एफ-16 लडाकू विमान बेचने के अपने फैसले के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को अधिसूचित किया है. रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों ही दलों के प्रभावशाली सांसदों के बढते विरोध के बावजूद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कांग्रेस को अधिसूचित किया है कि वह पाकिस्तान सरकार को एफ-16 ब्लॉक 52 विमान, उपकरण, प्रशिक्षण और साजोसामान से जुडे सहयोग वाली विदेशी सैन्य बिक्री करने को मंजूरी दे रहा है. अमेरिका के इस निर्णय के बाद भारत ने अपना विरोध दर्ज कराया. भारत का कहना है कि इन विमानों से आतंकवाद से निपटने में आखिर कैसे मदद मिलेगी.
पेंटागन की शाखा, रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने एक बयान में कहा कि यह प्रस्तावित बिक्री दक्षिण एशिया में एक रणनीतिक सहयोगी की सुरक्षा में सुधार में मदद करके अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लक्ष्यों में अपना योगदान देती है. पेंटागन ने तर्क दिया कि इससे क्षेत्र में सामान्य सैन्य संतुलन प्रभावित नहीं होगा. प्रस्तावित बिक्री मौजूदा और भविष्य के सुरक्षा से जुडे खतरों से निपटने में पाकिस्तान की क्षमता में सुधार लाती है. ये अतिरिक्त एफ-16 विमान हर मौसम में, दिन-रात अभियान चलाने में मदद करेंगे, आत्म-रक्षा क्षमता प्रदान करेंगे और उग्रवाद रोधी एवं आतंकवाद रोधी अभियान चलाने की पाकिस्तान की क्षमता को बढाएंगे.
पेंटागन की एजेंसी ने कहा, ‘इससे पाकिस्तान वायु सेना के पास अभियान चलाने के लिए उपलब्ध विमानों की संख्या में वृद्धि होगी, मासिक प्रशिक्षण की जरुरतें पूरी होंगी और चालकों को ब्लॉक-52 के चालन के प्रशिक्षण में मदद मिलेगी. पाकिस्तान को इन अतिरिक्त विमानों को अपनी वायुसेना में शामिल करने में कोई मुश्किल नहीं आएगी.' रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने कहा, ‘इस प्रस्तावित बिक्री का यह नोटिस कानून के तहत जरुरी है और इसका यह मतलब नहीं है कि बिक्री पूरी हो चुकी है.'
इसे बीच आधिकारिक अमरीकी सूत्रो के अनुसार ‘ये अभियान पाकिस्तानी क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवाद की शरणस्थली और अफगानिस्तान में उग्रवाद को बढावा देने वाले आधार के तौर पर किए जाने की आतंकियों की क्षमता को कम करते हैं.'
सूत्रोके अनुसार ‘अमेरिका क्षेत्र में अपने सुरक्षा सहयोग को किसी के लाभ और किसी के नुकसान के आधार पर नहीं देखता. पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान के साथ हमारे सुरक्षा संबंध अलग-अलग हैं लेकिन हर संबंध अमेरिकी हित और क्षेत्रीय स्थिरता को आगे बढाता है.' ओबामा प्रशासन ने कांग्रेस को ऐसे समय पर अधिसूचना दी है, जब कई सांसद इस प्रस्तावित बिक्री का विरोध कर रहे हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में, सीनेटर बॉब कॉरकर ने विदेश मंत्री जॉन केरी को पत्र लिखकर कहा था कि वह ऐसे किसी फैसले पर रोक लगाएंगे. दो दिन बाद, विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को एफ-16 बेचने के अपने इरादे को कांग्रेस के समक्ष अधिसूचित कर दिया. कांग्रेस के पास इस अधिसूचना पर काम करने के लिए 30 दिन हैं. प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने विश्वास जताया है कि इस बिक्री को सांसदों की मंजूरी मिल जाएगी.वी एन आई