नई दिल्ली, 13 जनवरी (वीएनआई) सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायधीशों द्वारा प्रधान न्यायाधीश के काम काज के तरीको पर असहमति व्य्क्त करने के लिये प्रेस कॉफ्रेंस बुलाये जाने पर आज बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर के कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों का अंदरूनी मामला है, चीफ जस्टिस फुल कोर्ट मीटिंग बुलाकर इस मामले को सुलझाएं. सभी जनहित याचिकाएं चाहे वो नई या लंबित, सभी को पांच वरिष्ठ जजों की बेंच ही सुने.
इस मामले में आगे का रास्ता क्या हो, इसे तय करने के लिए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल की बैठक हुई. बैठक के बाद बार काउंसिल के सदस्य ने बताया कि वो सुप्रीम कोर्ट के अन्य 23 जजों से मिलना चाहते हैं, जिनमें से अधिकांश चर्चा के लिए तैयार हैं. उसके बाद वो चारों असहमत जजों के मिलेंगे और अंत में मुख्य न्यायाधीश से. ये बैठकें रविवार से शुरू होंगी.
कल सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज देश के इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है, और यदि संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के साथ मीडिया से कहा, हम चारों मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं. किसी भी देश के कानून के इतिहास में यह बहुत बड़ा दिन, अभूतपूर्व घटना है, क्योंकि हमें यह ब्रीफिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उन्होंने कहा कि हमने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए की, ताकि हमें कोई यह न कह सके कि हमने आत्मा को बेच दिया है. बार काउंसिल के सूत्रों ने कहा कि जजों को फुल कोर्ट मीटिंग बुलानी चाहिए और अगर मुख्य न्यायाधीश उनकी चिंताओं को दूर करने में सक्षम नहीं हैं तो उन्हें राष्ट्रपति से संपर्क करना चाहिए.
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