वाशिंगटन,17 जून (शोभनाजैन/वीएनआई)चीन द्वारा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के विशिष्ट समूह- एन एस जी- की सदस्यता के लिये भारत के प्रयासो मे रोड़ा अटकाये जाने के बीच अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के सदस्य देशो से इस विशिष्ट समूह में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका ने एनएसजी के सहयोगी देशों से यह अपील की है कि जब भी एनएसजी सदस्य देशो के पूर्ण अधिवेशन मे इस मुद्दे पर समग्र चर्चा हो तब एन एस जी के सदस्य देश भारत के आवेदन का समर्थन करें.बैठक संभवत: अगले हफ्ते होगी. एक प्रश्न के जवाब में किर्बी ने कहा कि फिलहाल मैं यह नहीं बता सकता कि यह कैसे होगा और ना ही मैं कोई अटकल लगा सकता हूं कि किस तरह से इसे किया जाएगा, लेकिन हमने यह साफ किया है कि हम उनके (भारत के) आवेदन का समर्थन करेंगे.अमेरिका ने एनएसजी में भारत के प्रवेश पर समर्थन के संबंध में यह बयान ऐसे समय में दिया है जब एक दिन पहले ही चीन की आधिकारिक मीडिया ने चिंता जताई थी कि भारत के प्रवेश से दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन ‘‘प्रभावित'' होगा और भारत एक ‘‘वैध'' परमाणु शक्ति बन जाएगा.हाल मे वियना मे हुई एन एस जी की बैठक मे चीन ने भारत की सदस्यता कआ विरोध किया और इसके खिलाफ लामबंदी, तुर्की सहित छह देशो ने चीन की अगुआईमेभारत का विरोध किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले सप्ताह अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 48 सदस्यीय समूह के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया था. अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन कर रहा है. इससे पहले यहां एक बैठक से पूर्व अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे देशों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि उन्हें ‘‘समूह में भारत को शामिल किए जाने पर आम सहमति में रुकावट नहीं डालते हुए इस पर सहमति जतानी चाहिए.''
गौरतलब है कि श्री मोदी और ओबामा के बीच बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में यह कहा गया कि अमेरिका एनएसजी के सदस्य देशों से यह अपील करता है कि इस महीने के आखिर में एनएसजी प्लेनरी में भारत का आवेदन आने पर इसके सहयोगी देश भारत का समर्थन करें. बहरहाल, एनएसजी का सदस्य नहीं होने के बावजूद भारत अमेरिका के साथ अपने परमाणु सहयोग समझौता के लिए 2008 के एनएसजी नियमों में छूट के तहत इसकी सदस्यता का लाभ ले रहा है. एनएसजी परमाणु से संबंधित अहम मुद्दों को देखता है और इसके सदस्यों को परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार एवं उसके निर्यात की इजाजत होती है. एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और भारत के खिलाफ एक देश का भी वोट भारत की दावेदारी को नुकसान पहुंचा सकता है.
अमेरिका ने एनएसजी में भारत के प्रवेश पर समर्थन के संबंध में यह बयान ऐसे समय में दिया है जब एक दिन पहले चीन की आधिकारिक मीडिया ने चिंता जताई थी कि भारत के प्रवेश से दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन ‘‘प्रभावित'' होगा और भारत एक ‘‘वैध'' परमाणु शक्ति बन जाएगा.वी एन आई