दक्षिण चीन सागर जल क्षेत्र की संप्रभुता पर चीन के दावो को अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण मे करारी शिकस्त

By Shobhna Jain | Posted on 12th Jul 2016 | VNI स्पेशल
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हेग/नई दिल्ली,12 जुलाई(शोभनाजैन)हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले मे दक्षिण चीन सागर जल क्षेत्र की संप्रभुता पर चीन ्के दावों को खारिज कर दिया.फिलीपींस के पक्ष मे हुये इस अहम अंतर राष्ट्रीय मुकदमे मे ्चीन को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है'.इस फैसले का अर्थ है कि दक्षिण् ्चीन सागर जल क्षेत्र मे चीनी संप्रभुता के तमाम दावे खतरे मे पड़ गये है.इस जल क्षेत्र पर चीनी संप्रभुता के दावों को लेकर फिलीपींस, वियतनाम सहित अनेक दक्षिण पूर्वी देश विरोध जताते रहे है. चीन की सरकारी संवाद समिति सिन्ह्वा ने इस फैसले पर तीव्र प्रत्रिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि फैसला गलत और वह इसे साफ तौर पर खारिज करता है. गौरतलब है कि इस फैसले से पहले ही चीन की सरकारी मीडिया ने अमेरिका और जापान के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि अगर पीएलए (पिपुल्स लिबरेशन आर्मी) की सैन्य ताकत परीक्षण को लेकर तनाव बढता है तो चीन को सतर्क रहना चाहिए. जल क्षेत्र पर चीनी संप्रभुता के दावों को लेकर फिलीपींस सहित अनेक देश विरोध जताते रहे है. चीन के दावों के खिलाफ फिलीपीन की याचिका पर फैसले के लिए गठित स्थायी मध्यस्थता अदालत के पांच सदस्यीय न्यायाधीशों के मध्यस्थ न्यायाधिकरण का फैसला आने से पहले सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स' ने कहा था , ‘‘अमेरिका और जापान ने दावा किया है कि चीन सहित संबंधित देश न्यायाधिकरण के परिणाम का पालन करें, लेकिन चीन का कहना है कि यह फैसला ‘कागज के टुकड़े से अधिक' कुछ नहीं होगा.' गौरतलब है कि फिलीपीन ने अपने तट से करीब 140 मील के क्षेत्र पर चीन के कब्जा करने के आरोप के अपनी याचिका में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण से चीन के आधिकारिक मानचित्र पर अंकित ‘नाइन डैश लाइन' के अंतर्गत जल क्षेत्र पर चीनी संप्रभुता के दावों को नामंजूर करने को कहा था. अंग्रेजी के अक्षर ‘यू' आकार की यह रेखा चीन के दावों को प्रदर्शित करती है जो कि तेल की अधिकता वाले क्षेत्रों सहित वैश्विक कारोबार के लिए महत्वपूर्ण और प्राकृतिक संसाधनों से प्रचुर दक्षिण चीन सागर (एससीएस) की कम से कम 90 प्रतिशत क्षेत्र पर दावा पेश करती है.वी एन आई

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