माउंट आबू की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान अब संभव, 44 साल से लम्बित परियोजना मंजूर

By Shobhna Jain | Posted on 28th Jul 2021 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 28 जुलाई  (वीएनआई) राजस्थान के मशहूर पर्वतीय स्थल  माउंट  आबू  की पेयजल समस्या के स्थाई समाधान के लिए तैयार सालगांव बांध परियोजना  को अन्ततः अब चवालीस बरस बाद प्रशासकीय मंजूरी मिल गई हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले 44 साल से यानि १९७७ से इस परियोजना की फाईलें साल-दर-साल राजनीतिक और विभागीय दांवपेंच में अटकती-उलझती रही. इस बांध के बनने से क्षेत्र में वर्षाकाल में बहकर व्यर्थ जाने वाले पानी का सदुपयोग हो सकेगा और आबू पर्वत वासियों के लिए पेयजल का स्थाई समाधान हो सकेगा. इसके अतिरिक्त बांध से क्षेत्र के किसानों को भी सिंचाई की सुविधा मिलेगी एंव वन्यजीवों को भी पीने के पानी कि किल्लत से मुक्ति मिलेगी। परियोजना की वित्तीय स्वीकृति प्रक्रियाधीन है। 

 एक सरकारी सूत्र के अनुसार यह सालगांव बांध परियोजना जो 44 साल पहले 27 लाख रूपए की अनुमानित लागत से बनना प्रस्तावित था ्जो अब बढ कर  परियोजना की अनुमानित लागत 250 करोड़ आंकी गयी है. सूत्र के अनुसार  राज्य सभा सांसद, श्री नीरज डांगी  इस बारें में काफी समय से प्रयासरत थे , अब उन के गंभीर प्रयासों से मूर्तरूप लेती नजर आ रही हैं.सालगांव बांध परियोजना, आबू पर्वत की पेयजल समस्या के निराकरण हेतु जन स्वास्थ् अभियंत्रिकी विभाग द्वारा प्रस्तावित परियोजना है. इस परियोजना के सालगांव बांध का कुल केचमेंट एरिया 777.90 हेक्टेयर है और कुल भराव क्षमता 155.56 मिलियन घनफुट आंकी गई है. बांध का कुल डूब क्षेत्र 52.55 हेक्टेयर है, जिसमें से 5.96 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि है तथा 46.59 हेक्टेयर निजी एवं सरकारी भूमि है. 

आबू पर्वत की वर्तमान जल योजनाओं में पेयजल का मुख्य स्रोत अपर कोदरा एवं लोवर कोदरा है. जिससे प्रतिवर्ष करीब 42.62 एमसीएफटी जल उपलब्ध होता है. जबकि आबू पर्वत की वर्तमान जल मांग 85.21 एमसीएफटी (स्कूल, आर्मी, टूरिस्ट की आबादी सम्मलित करते हुए) आंकी गयी है इस प्रकार जल मांग उपलब्ध जल से काफी अधिक है.

 राजस्थान सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार उपमहानिरीक्षक एवं वन्यजीव, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली ने पत्र दिनांक 26.3.2008 से वन भूमि को अनारक्षित करने का अनुमोदन स्वीकृत किया था. जिसके अनुरूप इसके केचमेंट एरिया की निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाना था.राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल  की 42वीं मीटिंग में दी गई स्वीकृति के अनुसार केचमेंट एरिया में सम्मलित 111.33 हेक्टेयर निजी भूमि, 55.45 हेक्टेयर सरकारी भूमि एवं डूब क्षेत्र की 5.96 हेक्टेयर वन भूमि के बदले कुल 172.74 हेक्टेयर सरकारी भूमि, भूमि वन विभाग को स्थानांतरित किए जाने हेतु जिला कलेक्टर सिरोही द्वारा दिनांक 26.6.2018 द्वारा जारी किया कर दी गई थी.जन स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग की वित्त समिति ने परियोजना की डीपीआर जल संसाधन विभाग के माध्यम से तैयार करने हेतु 31.67 लाख की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी और उक्त परियोजना की नीति निर्धारण समिति द्वारा रूपये 250.54 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जा चुकी है.

 गौरतलब हैं कि इससे पूर्व भी राज्यसभा सांसद श्री नीरज डांगी के प्रयासों से केन्द्रीय जल आयोग तथा विष्व बैंक की सहायता से बाँध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना के अन्तर्गत रेवदर तहसील में स्थित सुकली सेलवाड़ा बाँध का जीर्णोद्धार, आधुनिकीकरण एवं सुधार कार्य स्वीकृत करवाकर क्षेत्र के 20 गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु राषि 26.34 करोड़ रूपये की स्वीकृति मिली थी. वी एन आई


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