चीन के साथ संबंध मजबूत बनाने के लिए भारत का \"छह सूत्री फार्मूला\"

By Shobhna Jain | Posted on 12th Mar 2015 | VNI स्पेशल
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बीजिंग, 1 फरवरी (शोभना जैन,वीएनआई)विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज चीन के साथ सीमा विवाद के जल्द समाधान का रास्ता निकालने की भारत की प्रतिबद्ध्ता व्यक्त करते हुए दोनो देशो के संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए महत्वाकांक्षी \"छह सूत्री फार्मूला\" पेश किया ताकि दोनो देशो के एक दूसरे की सभ्यताओ को आपसी ज्ञान से और समृद्ध बनाने के लिये एक \"नयी सदी की नींव रखने\" और इस सदी को \"एशिया की सदी\" बनाने के साझे सपने को पूरा किया जा सके। विदेश मंत्री ने आज यहा अपनी पहली चीन यात्रा मे \"द्वितीय भारत, चीन मीडिया फोरम\" को संबोधित करते हुए चीनी नेतृत्व के साथ औपचारिक बातचीत से पहले दोनों देशों के बीच संबंधों को सुदृढ़ बनाने का यह छह सूत्री खाका पेश किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को कार्योन्मुखी रूख अपनाना चाहिए और व्यापक आधर वाले द्विपक्षीय रिश्तों, क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को साथ लेकर इसे एशिया की सदी बनाने के लिए काम करना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा \" जिस तरह दोनों देश बड़ी अंतर्राष्ट्रीय भूमिका निभा रहे हैं, उसी तरह हमारे आपसी संपर्क और वार्ता को भी आगे बढ़ना होगा। एशिया की दो बड़ी सभ्यता होने के लिहाज से साझा हितों के निर्माण के लिए हमारे बीच एक-दूसरे के प्रति भरोसा होना चाहिए।\" अमेरिका जापान के साथ भारत की बढती नजदीकियों के साथ पड़ोसी देश चीन के साथ \"सहज और सामान्य संबंध\" बनाने की भारत के प्रयासो के बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज चार दिवसीय चीन यात्रा पर कल बीजिंग पहुंची. आज इस कार्यक्रम मे श्रीमति स्वराज ने दोनो देशो के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधो को और सुदृढ किये जाने पर बल देते हुए \"ठोस नतीजे के ध्येय से सहयोग बढाने \" का यह खाका पेश किया. इस के तहत दोनो देशो के बीच व्यापाक आधार की उभयपक्षीय बातचीत करने,रणनीतिक संवाद बढाने पर जोर देते हुए, द्विपक्षीय के साथ क्षेत्रीय तथा वैश्विक समान हितो पर आपसी सहमति बनाने तथा सहयोग के नये क्षेत्र पर काम करने के सुझाव दिये ताकि इस सदी को एशिया की सदी बनाने का साझे सपने को पूरा किया जा सके. इस कार्यक्रम मे चीन के साथ संबंध मजबूत किये जाने के लिये अपनी सरकार की पहल की चर्चा करते हुए श्रीमति स्वराज ने चीन के साथ सीमा विवाद के जल्द समाधान का रास्ता निकालने की भारत की प्रतिबद्ध्ता व्यक्त की और कहा \" हमे उम्मीद है कि पिछले कुछ माह मे दोनो देशो के संबंधो जो गति आई है, वह विभिन्न स्तर पर और बढेगी, हम अपने आर्थिक संबंधो को भी नये आयाम तक पहुचाने का प्रयास करेगे \" विदेश मंत्री ने कहा \" आज हमारे संबंध एक ऐसे धरातल पर पहुच गये है, जहा हम उन क्षेत्रो पर चर्चा करते है जिसकी कुछ वर्ष पूर्व कल्पना नही की जा सकती थी, हमने सीमा सहित रक्षा के क्षेत्र मे आपसी संपर्क और आदान प्रदान बढाने मे खासी प्रगति की है, जिससे वहा शांति बनाये रखने मे मदद मिली, जो कि निश्चय ही हमारे रिशतो को और मजबूत करने के लिये जरूरी है. दोनो देशो के बीच बढते आर्थिक संबंधो की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, \"हम भारत में चीनी कंपनियों के लिए व्यवसाय करना सरल बनाएंगे और उम्मीद करते हैं कि चीन में हमारी कंपनियों के विस्तार के लिए भी ऐसा ही किया जाएगा।\" अब उनकी चीनी नेतृत्व के साथ औपचारिक बातचीत होगी. वे चीनी विदेश मंत्री वांग यी से वे मुलाकात कर द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैशविक मुद्दो पर मंत्रणा करेगी. इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले साल सितंबर में भारत की यात्रा पर आए थे और विदेश मंत्री वांग ली ने भी पिछले साल मोदी सरकार के कार्यालय संभालने के फौरन बाद भारत का दौरा किया था। उम्मीद की जा रही है कि इस द्विपक्षीय बातचीत मे तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए वैकलपिक ,दूसरे मार्ग को खोलने को लेकर इंतजामों को अंतिम रूप दिया जा सकता है.बीते साल चीन की राष्ट्रपति जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए दूसरा मार्ग खोलने पर सहमति जताई थी, इसी सहमति के चलते सिक्किम के नाथुला दर्रे से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दूसरा मार्ग अगले कुछ महीने में खुल सकता है.इस मार्ग से जाने में तीर्थयात्रियों को काफी आसानी होगी.दोनों पक्ष इस बातचीत मे इस साल के मध्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे की संभावना भी तलाशेंगे. ऐसी चर्चाये है कि समभवत प्रधान मंत्री मोदी चीन यात्रा से पहले इसी नये मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन पर जाये . विदेश मंत्री स्वराज यात्रा के दौरानचीन और रुस के अपने समकक्षों के साथ तेरहवी आरआईसी शिखर बैठक में भी हिस्सा लेगी. भारतीय विदेश मंत्री की चीन यात्रा ऐसे अहम पड़ाव पर हो रही है जबकि अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दिल्ली दौरे को एशिया-प्रशांत और हिन्द महासागर पर भारत-अमेरिका के संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। भारत-अमेरिका के इस गठजोड़ से चीन खुद को असहज स्थिति में पा रहा है। इसके अलावा न चीन के कट्टर प्रतिद्वंद्वी जापान के साथ भारत की बढ़ती निकटता से भी चीन परेशान है। ऐसी उम्मीद है कि चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग प्रोटोकॉल दरकिनार कर विदेश मंत्री सुषमा से मुलाकात करेंगे.चीनी राष्ट्रपति अपने देश में आए किसी विदेश मंत्री से बहुत कम ही मिलते हैं। पिछले साल विदेश मंत्री बनने के बाद श्रीमति स्वराज का यह पहला चीन दौरा है.विदेश मंत्री के साथ नए विदेश सचिव एस जयशंकर और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी यहां पहुंचे हैं. दो दिनों पहले विदेश सचिव नियुक्त होने के बाद श्री जयशंकर का यह पहला विदेश दौरा है. इस यात्रा के दौरान श्रीमति सुषमा स्वराज की रूसी विदेश मंत्री सेर्गेइ लारोव से भी बेहद अहम मुलाकात होनी है। चीन, भारत और रूस के विदेश मंत्रियों की तय बैठक से पहले श्री सेर्गेइ लारोव श्रीमति स्वराज से बातचीत करेगे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हु चुन्यिंग ने कहा, \'इस यात्रा से दोनों देशों के बीच कई मसलों पर व्यापक सहमति बनने की उम्मीद है। दोनों देश अपने मतभेदों पर बातचीत के लिए तैयार हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच इस बैठक में व्यापक सहमति बन सकती है। हम इस बातचीत से राजनीतिक भरोसे और व्यावहारिक सहयोग की उम्मीद कर सकते हैं। हमारे आपसी सहयोग को कुछ गति मिलेगी। हम क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समन्वय और सहयोग की राह पर बढ़ेंगे।\' चीन, रूस और भारत की इस शिखर बैठक से आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर आपसी सहमति बनाने की उम्मीद की जा रही है। श्री हु ने कहा,\'हमलोगों की बड़े वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर एक तरह की सोच है। ऐसे में बैठक के दौरान हम समान हितों पर अपने विचार साझा कर व्यवहारिक सहयोग की बात करेंगे।\' नयी वैश्विक परि्स्थितियो मे भारत रूस और चीन की यह बैठक बेहद अहम है। वी एन आई

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