संयुक्त राष्ट्र में पहली बार सुनाई दी डॉ.अंबेडकर के संदेशो के गूंज

By Shobhna Jain | Posted on 14th Apr 2016 | VNI स्पेशल
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संयुक्त राष्ट्र 14 अप्रैल (शोभनाजैन/वीएनआई) संयुक्त राष्ट्र में पहली बार भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संदेशो के गूंज सुनाई दी जिसमें समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे पर आधारित समाज के स्थापना मे उनके संदेशो को आज और भी अधिक प्रासंगिक बताया गया ताकि वर्ग, जाति,नस्ल और धर्म की दीवारे ढहा कर शांति, सद्भाव और समानता पर आधारित समाज की रचना की जा सके और छुआछूत और असमानता दूर की जा सके. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने कल यहां एक विशेष समारोह मे संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में डॉक्टर भीमराव अंबेडकरकी 125वीं जन्म जयंती मनाई गई. यह पहला मौका था जब मिशन ने संयुक्त राष्ट्र मे अंबेडकर पर कार्यक्रम आयोजित किया. इस अवसर पर संयुक्त् राष्ट्र विकास कार्यक्रम की मुख्य अधिका्री तथा न्यूजी लेंड की पूर्व प्रधान मंत्री हेलेन क्लार्क ने अपने अध्यक्षीय भाषण मे कहा कि बाबा साहिब यह बात बखूबी समझते थे कि असमानताये समाज के कल्याण और विकास के रास्ते मे बुनियादी चुनौतियॉ है. इस मौके पर 'सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए असमानताओं से टक्कर ' विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया जिसमे सभी के लिये स्वास्थय को ले कर बाबा साहिब के सपने को पूरा करने के साथ समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे पर आधारित समाज की स्थापना मे उनके प्रयासो की चर्चा की गयी जिससे वर्ग, जाति,नस्ल और धर्म की दीवारे गिरा कर शांति, सद्भाव और समानता पर आधारित समाज की रचना किये जाने और २०३० के एजेंडा के तहत सतत विकास के ्लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये जा्ति और अन्य असामनाताये दूर करने और सामाजिक विकास की दिशा मे काम करने पर् बल दिया गया.कोलंबिया विश्वविद्द्यालय की प्रोफेसर स्टेन काशनोवस्की, इसी विश्वविद्द्यालय की प्रोफेसर अनुपमा राव ्तथा हारवर्ड विशविद्द्यालय के क्रिस्टोफर क्वीन ने हिस्सा लिया. गौरतलब है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कोलंबिया विश्वविद्द्यालय के ही छात्र रह चुके है. इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण मे संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि अपने आस पास और देशो के बीच असमानता से निबटना आज भी हमारी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. उन्होने कहा " डॉ अंबेडकर ने बहुवादी तथा सभी को साथ लेकर चलने वाले संविधान को आकार दिया जिसमे धर्म निरपेक्ष लोकतंत्र मे सभी को समान अवसरो की गारंटी तथा सभी नागरिको को अभिव्यक्ति और आस्था की स्वतंत्रता की बात थी. डॉ अंबेडकर के नेतृत्व मे एक ऐसे संविधान को बनाया गया जिसमे छुअछूत और हर तरह का भेदभाव समाप्त कर दिया गया." इस समारोह के सह आयोजक कल्पना सरोज फाउंडेशन और फाउंडेशन फॉर ह्यूमन होराइजन के सहयोग से ्किया गया. इस अवसर पर बडी तादाद मे ्विभिन्न देशो के राजनयिक छात्र, प्रबुद्ध जन और संयुक्त राष्ट्र अधिकारी शामिल थे. इससे पूर्व भारतीय मिशन ने एक बयान में कहा, 'सतत विकास के लिए 2030 का एजेंडा इस बात का द्योतक है कि देशों में असमानता का मुकाबला करना है, सतत एवं समावेशी प्रगति लानी है ' वीएनआई

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