रूस ‘भारत के सबसे मूल्यवान मित्र देशों में से एक'-मोदी

By Shobhna Jain | Posted on 23rd Dec 2015 | VNI स्पेशल
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नयी दिल्ली,२३ दिसंबर(शोभनाजैन/वीएनआई)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस को‘भारत के सबसे मूल्यवान मित्र देशों में से एक'बताते हुए आज विश्वास जताया कि उनकी रूस यात्रा से आर्थिक, ऊर्जा एवं सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग को प्रागाढ करने में और दोनो देशो की जनता के बीच पहले से ही मौजूद मजबूत संबंधों को आगे ले जाने में भी मदद मिलेगी. मॉस्को रवाना होने से पहले आज यहा एक बयान में मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंध और बढ सकते हैं. इससे न सिर्फ दोनों देशों को बल्कि विश्व को भी फायदा होगा. प्रधान मंत्री ने कहा, ‘आज, मैं अपनी रूस यात्रा की शुरुआत करुंगा. सरकार बनाने के बाद यह मेरी पहली द्विपक्षीय यात्रा है. मैं इस यात्रा के परिणामों को लेकर बहुत आशान्वित हूं.' प्रधानमंत्री दो दिवसीय रूस यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ वार्षिक शिखर वार्ता मे हिस्सा लेंगे. इस महत्वपूर्ण शिखर वार्ता का लक्ष्य परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन, रक्षा और व्यापार पर खास बल देते हुए विशिष्ट रणनीतिक संबंधों का विस्तार करना है. कल दोनों पक्ष शिखर वार्ता के दौरान उभयपक्षीय संबंधो को नयी गति देते हुए परमाणु ऊर्जा और रक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. दोनों देशों के बीच य़ा 16वी शिखर वार्ता है. शिखर वार्ता वर्ष 2000 से ही एक बार मास्को में तो एक बार नयी दिल्ली में बारी-बारी से होती आ रही है. विदेश सचिव एस जयशंकर ने संवाददाताओ को प्रधान मंत्री की रूस यात्रा की जानकारी देते हुए कहा, ‘हमें विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की आशा है. उनमें से कुछ को अंतिम रूप दिया जा रहा है.' उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंधों में विस्तार एक बडी प्राथमिकता होगी क्योंकि दोनों देशों का वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार अगले दस सालों में 10 अरब डालर से बढाकर 30 अरब डालर तक ले जाने का लक्ष्य है. मोदी और पुतिन द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा सीरिया की स्थिति तथा आतंकवाद से निबटने के तौर तरीके समेत विविध वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं. जयशंकर ने कहा, ‘यह हमारे लिए निश्चित ही अति महत्वपूर्ण संवादों में एक होगा.'विदेश सचिव ने कहा, ‘रूस भारत का एक बडा सैन्य एवं रणनीतिक साझेदार रहा है. इस क्षेत्र पर दोनो शीर्ष नेताओ के बीच व्यापक चर्चा होगी.' पिछले हफ्ते रक्षा मंत्रालय की शीर्ष अधिग्रहण परिषद ने 40,000 करोड रुपये की अनुमानित लागत से रूसी एस-400 ट्रियंफ एयर डिफेंस मिसाइल की खरीद को हरी झंडी दी थी. जब विदेश सचिव से पूछा गया कि क्या रुस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रयास का जोरदार समर्थन करेगा, उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों को एक दूसरे पर काफी विश्वास है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य के रूप में देखने की रूस की कटिबद्धता पर हमें बिल्कुल शक नहीं है.' जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत रूस से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विवरण साझा करने का अनुरोध करेगा, उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की हाल की मास्को यात्रा के दौरान उठा था. उन्होंने कहा, ‘हम इंतजार करें और देखें कि क्या होता है. मैं रूसी प्रतिक्रिया का पूर्व आकलन नहीं करता जबतक कि हमें कुछ मिल नहीं जाता.' यह मोदी की पुतिन के साथ दूसरी शिखर वार्ता होगी. पुतिन 15 वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए पिछले साल यहां आए थे. जयशंकर ने कहा कि भारत हीरा व्यापार और कृषि कारोबार जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढाने के अलावा रूस के तेल एवं कोयला क्षेत्र में घनिष्ट साझेदारी को लेकर आशान्वित है. ऊर्जा की भारी कमी से जूझ रहा तथा अमेरिका एवं चीन के बाद तेल का तीसरा सबसे बडा आयातक भारत रूस की बडी गैस एवं तेल खोज परियोजनाओं में व्यापक भागीदारी पर जोर दे रहा है. रूस दुनिया में सबसे बडे तेल उत्पादकों में एक है और उसके यहां प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार भी हैं. भारत यूरेशिया आर्थिक क्षेत्र के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए भी जोर दे सकता है तथा उसने इस संबंध में जो अध्ययन किया है, वह उसे साझा कर रहा है. बिना कोई खास विवरण दिये जयशंकर ने कहा कि मोदी और पुतिन रक्षा एवं परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयेाग बढाने पर चर्चा करेंगे. आज राष्ट्रपति पुतिन श्री मोदी के सम्मान में रात्रि भोज देंगे और दोनों नेता ्कल क्रेमलिन में भारतीय एवं रूसी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के एक समूह के साथ बैठक करेंगे. प्रधानमंत्री रूस यात्रा के दौरान फ्रेंड्स ऑफ इंडिया की एक सभा को भी संबोधित करेंगे जहां करीब 3000 लोगों के आनेकी संभावना है. वह रूस के 'इमरकॉम' भी जायेंगे जो आपदा प्रबंधन का काम ्संभालता है. शिखर वार्ता की पृष्ठभूमि हाल ही में हुई अंतर-सरकारी आयोग और सैन्य प्रौद्योगिकी आयोग की बैठकों के दौरान तैयार हुई थी. यह पूछे जाने पर कि रूस ने पाकिस्तान को लडाकू हेलीकॉप्टर देने का निर्णय लिया है, ऐसे में क्या रूस यह संदेश देकर पाकिस्तान के करीब तो नहीं जा रहा कि वह अमेरिका के साथ भारत की नजदीकियों से खुश नहीं है, ्विदेश सचिव ने िस प्रकार के आकलन को बेमायने और बेवजह बताते हुए ऐसी तुलना को सिरे से खारिज कर दिया. जब उनका ध्यान भारत में रूस के राजदूत के कुछ इस तरह के बयानों की तरफ आकृष्ट किया गया तो उन्होंने कहा, ‘यदि रूसी राजदूत रूसी विमान को बढावा नहीं देंगे तो वह किसके विमान को बढावा देंगे. वह अपना काम कर रहे हैं.' सीरिया के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि भारत और रुस व्यापक दृष्टि से एक ही तरफ है क्योंकि दोनों देश शांतिपूर्ण तरीके से संकट का हल चाहते हैं. भारत धार्मिक चरमपंथ और कट्टरपंथ की ताकतों की जडें जमाने के पक्ष में नहीं है. पिछले साल शिखर वार्ता के बाद यह ऐलान हुआ था कि रूस सैन्य एवं असैन्य दोनों तरह के उपयोग के लिए अति आधुनिक हेलीकॉप्टर का विनिर्माण करने के अलावा कम से कम 12 परमाणु संयंत्र बनाएगा। दोनों देशों ने तेल, गैस, रक्षा, निवेश और अन्य अहम क्षेत्रों में 20 समझौते किये थे. जब विदेश सचिव से पूछा गया कि क्या रूस में भारतीय विद्यार्थियों को दी जाने वाली मेडिकल डिग्रियों को मान्यता देने के विषय का हल हुआ है, उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब भी चर्चा चल रही है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क बढाने एवं पर्यटन को बढावा देने की संभावनाएं भी खंगालेंगे. प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ व्यापक चर्चा करेंगे और रूसी कारोबारियों के साथ भी संवाद करते हुए उन्हें भारत में निवेश के लिए आमंत्रित करेंगे. उन्होंने बताया कि वह ‘फ्रेंड्स ऑफ इंडिया' कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे. मोदी ने कहा, ‘मैं अपनी रूस यात्रा के परिणामों को लेकर बेहद आशान्वित हूं. यह एक मूल्यवान मित्र के साथ आर्थिक एवं सुरक्षा संबंधों को प्रागाढ करेगी.' मोदी ने कहा कि इतिहास भारत और रुस के बीच दशकों से चले आ रहे करीबी संबंधों का गवाह है. उन्होंने कहा, ‘रूस विश्व में भारत के सबसे मूल्यवान मित्रों में से एक बना हुआ है.' मोदी ने वर्ष 2001 का वह समय याद किया, जब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला ही था. उस समय वह प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रूस गये थे. मोदी ने उस यात्रा के बारे में कहा, ‘वह शायद भारत और रूस के पहले वार्षिक शिखर सम्मेलनों में से एक था. यह क्रम आज भी जारी है.' उन्होंने कहा, ‘मेरी यात्रा भारत और रूस के बीच आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग को प्रागाढ करेगी. हम विज्ञान एवं तकनीक, खनन और अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढाना चाहते हैं.' उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि यह यात्रा दोनों देशों की जनता के बीच पहले से मजबूत संबंधों को और आगे लेकर जाएगी.'वी एन आई

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