कोलंबो, श्रीलंका,13 मार्च (शोभनाजैन,वीएनआई) भौगोलिक नजदीकियो, ऐतिहासिक सास्कृतिक संबंधो और साझे मूल्यो की डोर से बंधे भारत तथा श्रीलंका ने आज \'हाल मे बढती नयी समझ बूझ\' के बीच द्विपक्षीय संबंधो को एक नये धरातल पर ले जाते हुए आर्थिक संबंध बढाने तथा दोनो देशो की जनता के बीच संपर्क बढाने सहित चार अहम समझौतो और विभिन्न क्षेत्रो मे आपसी सहयोग बढाने की दिशा मे अनेक महत्वपूर्ण फैसलो के घोषणा की. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की श्री लंका यात्रा के पहले दिन आज दोनो देशो ने आपसी सहयोग \' तेज गति\'बढाये जाने का निश्चय किया. भारतीय प्रधान मंत्री की 28 वर्ष बाद श्रीलंका की यह पहली \'द्विपक्षीय यात्रा\' है.
दोनो देशो के बीच हुई शिष्टंडल स्तर् की वार्ता और समझौतो के बाद प्रधान मंत्री मोदी ने वार्ता को \'अत्यंत लाभप्रद\' बताते हुए वे दोनो देशो के भावी संबंधो को लेकर बहुत आशान्वित है और इ्न्हे ले कर उनका भरोसा बढा है. विदेश सचिव श्री एस जयशंकर ने भी प्रधान मंत्री की श्री लंका यात्रा को बेहद सफल बताया और कहा कि आज लिये गये फैसलो से दोनो देशो के बीच संपर्क और बढेगा. श्रीलंका की नव निर्वाचित मैत्रीपाला सिरीसेना सरकार के भारत के साथ रिश्ते और प्रगाढ बनाने की इच्छा और पहल के मद्देनजर प्रधान मंत्री मोदी की इस यात्रा को दोनो देशो के बीच रिश्तों के नये अध्याय की शुरूआत बतौर देखा जा रहा है.प्रधान मंत्री मोदी हिंद महासागर क्षेत्र के तीन पड़ोसी मित्र देशो, सेशल्स, मॉरीशस के बाद यात्रा के अंतिम पड़ाव मे श्री लंका के दो दिवसीय यात्रा पर आज यहा पहुंचे.
प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत श्री लंका के नये शांति अभियान, श्रीलंका मे तमिलो सहित सभी के लिये समानता और यहा के संविधान के 13 वें संशोधन के क्रियान्वन के लिये सदैव श्री लंका के साथ खड़ा है. उन्होने कहा कि राष्ट्रपति सिरीसेना श्रीलंका मे सभी के विकास के लिये जो प्रयास कर रहे है, वे उसके प्रशंसक है. दोनो देशो के बीच सीमा शुल्क, वीजा, युवा विकास सहित गुरूदेव रविन्द्र नाथ टेगोर की स्मृति मे स्मारक बनाये जाने के बारे मे ये चार समझौते हुए. प्रधान मंत्री ने दोनो देशो के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत किये जाने पर बल देते हुए उम्मीद जताई कि सीमा शुल्क समझौते से दोनो देशो के बीच व्यापार सरलीकरण नियमो से व्यापार बढेगा . आर्थिक संबंधो की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि पिछले दशक मे दोनो देशो के बीच व्यापार\' काफी\' बढा है, साथ ही इस बारे मे कुछ चिताओ से भी वे अवगत है, जिनका समाधान किया जायेगा . इस अवसर पर उन्होने श्री लंका मे रेल सेक्टर के विकास के लिये 38 करोड़ डॉलर की \'लाईन ऑफ क्रेडिट\' भी दिये जाने की भी घोषणा की, दोनो देशो के बीच विभिन्न क्षेत्रो मे आपसी सहयोग और बढाये जाने की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि भारत श्री लंका को त्रिंकोमाली मे\' पेट्रोलियम हब\' बनाने मे मदद देने को तैयार है. दोनो देशो के बीच के साझा सांस्कृतिक विरासत वाले संबंधो को और मजबूत बनाये जाने के क्रम मे उन्होने कहा कि भारत श्रीलंका मे \' रामायण से जुड़े स्थलो के सर्किट\' और भारत मे \'बोद्ध सर्किट\'बनाये जाने मे सहयोग देगी .दोनो देशो की जनता के बीच संपर्क और बढाये जाने के क्रम मे उन्होने कहा कि एयर इंडिया जल्द ही भारत तथा कोलंबो के बीच सीधी उड़ान शुरू करेगा साथ ही आगामी चौदह अप्रेल से तमिल तथा सिंहली नव वर्ष के अवसर पर भारत श्री लंकाई नागरिको के लिये \'वीजा ओन एराईवल \' पर्यटक वीजा की सुविधा देना भी शुरू करेगा. दोनोके बीच जटिल मछुआरो की समस्या की चर्चा करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि यह मछुआरो की रोजी रोटी से जुड़ा मुद्दा है ,जिसके मानवीय पहलू है, इसके शीघ्र दीर्घकालिक समाधान की उम्मीद जताते हुए न्होने कहा इसे सुलझाने मे कुछ वक्त मिलेगा, उन्होने कहा कि जल्द ही दोनो देशो के मछुआरो की एसोसियेशन इस मसले पर चर्चा करेंगे, बाद मे इस पर सरकारी स्तर पर चर्चा की जायेगी.
प्रधान मंत्री ने बाद मे यहा के महाबोधी समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम मे भारत तथा श्री लंका के बौद्ध धर्म से जुड़े सदियो पुराने सांस्कृतिक संबंधो की चर्चा करते हुए कहा कि ्बौद्ध धर्म दोनो देशो को जोड़ता है. उन्होने कहा कि आज दुनिया को जिस तरह से आतंकवाद भयभीत कर रहा है, महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाया गया रास्ता ही हमे आतंक से मुक्ति दिला सकता है, उन्होने कहा कि दरअसल श्रीलंका बौद्ध धर्म का पालन करने वाला सबसे पुराना देश है. इस मौके पर प्रधान मंत्री ने वहा मठ के भिक्षुओ को दान दक्षिणा भी दी और उनका आशीर्वाद ग्रहण किया.बाद मे श्री लंका के प्रधान मंत्री रानिल विक्रम सिेहे ने भी उनसे मुलाकात की, प्रधान मंत्री मोदी आज श्री लंका की संसद को भी संबोधित करेंगे
इससे पूर्व प्रधान मंत्री का आज भोर, सुबह साढे पांच बजे यहा पहुंचने पर श्री लंका के प्रधान मंत्री रानिल विक्रम सिंहे ने हवाई अडड़े पर पहुंच कर उनकी अगवानी की. बाद मे उनकी परंपरागत अगवानी के बाद २१ तोपो की सलामी दी गयी.श्रीलंका की नव निर्वाचित मैत्रीपाला सिरीसेना सरकार के भारत के साथ रिश्ते और प्रगाढ बनाने की इच्छा और पहल के मद्देनजर प्रधान मंत्री मोदी की इस यात्रा को दोनो देशो के बीच रिश्तों के नये अध्याय की शुरूआत बतौर देखा जा रहा है. श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला ने इस जनवरी हुए चुनाव के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिये भारत को ही चुना था और इस दौरान गत माह उनकी भारत यात्रा के दौरान भारत पर भरोसा जताते हुए श्रीलंका ने भारत के साथ द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग संधि की, जो श्रीलंका की किसी देश के साथ पहली इस तरह की संधि थी. श्रीलंका की मैत्रीपाला सरकार के साथ भारत के साथ मैत्रीपूरं रिशतो का इस बात से भी पता चलता है कि श्रीपाला सरकार आने के बाद दोनो देशो के बीच यह चौथी उच्च स्तरीय संपर्क है. इससे पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसी माह और श्री लंका के विदेश मंत्री मंगला समरवीरा ने अपने सरकार बनने के दस दिन के भीतर भारत यात्रा की थी जिसे दोनो देशो के बीच रिश्तों को एक नया रंग देने बतौर देखा जा रहा है.
राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना की पिछले महीने की भारत यात्रा के बाद महीने भर के भीतर यह दोनो देशो के शीर्ष नेताओ के बीच यह दूसरी शिखर बैठक है।गौरतलब है कि तीन देशो की यात्रा पर रवाना होने से पूर्व श्री मोदी ने श्रीलंका यात्रा का जिक्र करते हुए कहा था \'इस यात्रा को मैं हमारे संबंधों को – राजनीतिक, रणनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सबसे बढ़कर जनता के बीच आपसी संपर्क को और प्रगाढ़ बनाने के अवसर के रूप में देख रहा हूं.\' उन्होने कहा \'य़ह यात्रा पड़ोसी देशों के साथ निरंतर सम्पर्क बनाए रखने के मेरे उद्देश्य का अंग भी है। मैं अपने सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पड़ोसियों में से एक की यात्रा का अवसर पाकर प्रसन्न हूं। हम दोनों देशों के बीच नई भागीदारी कायम करने की दिशा में मिलकर कार्य करेंगे।\' विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधान मंत्री की भारत के समुद्रीय पड़ोसी देशो के साथ रिश्ते और प्रगाढ बनाने के मकसद् से हो रही यह यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र मे भारत के रिश्ते और मजबूत करने की भारत की प्रबल इच्छा का सूचक है.
प्रधान मंत्री कल उत्तरी श्रीलंका में जाफना भी जाएंगे जहां 1980 के दशक में गृहयुद्ध चला और लिट्टे और श्रीलंका सरकार के बीच कभी भीषण संघर्ष हुआ था। श्री मोदी जाफना जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। वे जाफना में भारत की सहायता और सहयोग से चलाए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस यात्रा से दोनो देशो को शीर्ष स्तर पर निकट राजनैतिक संपर्क बढाने,सहयोग बढाने के साथ समान हित वाले प्रमुख मुद्दो पर आपसी समझ बूझ कायम करने का मौका मिलेगा. तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने 1987 मे श्री लंका का दौरा किया था जिस दौरान उन्होने भारत श्रीलंका शांति करार किया था.वी एन आई