मासिनराम, मेघालय(अनुपमाजैन, वीएनआई)चेरापूंजी, एक पहचाना सा नाम,जहा की सड़क पर घुसते ही बादल आपके वाहन मे घुस आते है, झम झम करती बारिश और बारिश की वजह से चारो और तिलस्म सी छाई धुंध, यानि एक जगह जो अब तक जानी जाती है देश मे सबसे ज्यादा बारिश ्होने के लिये, लेकिन ठहरिये, चेरापूंजी के अलावा भी मेघालय का एक ऐसा गांव है जो सर्वाधिक बारिश के लिए जाना जाता है। जहां सालभर बारिश होती है।
देश के पूर्वी छोर पर मेघालय का मासिनराम गांव के नाम साल भर में सर्वाधिक बारिश का रिकॉर्ड दर्ज है। यहां प्रतिवर्ष 467 इंच बारिश होती है। इसी वजह से शायद मेघालय को भारत का सबसे 'नम' राज्य भी कहा जाता है। यूं भी मेघालय का अर्थ है बादलों का घर,मेघालय भारत के उत्तर-पूर्वीय, बंग्लादेश की सरहद पर है। मेघालय इतना खूबसूरत है कि उसे “पूरब का स्कॉटलैंड” कहा जाता है। उसके नाम का मतलब भी “मेघों का बसेरा” है
आंकड़ो के अनुसार दुनिया में सबसे ज़्यादा नमी वाले जगह के तौर पर गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भारत के मेघालय में मासिनराम का नाम दर्ज है. यहां बंगाल की खाड़ी की वजह से काफी ज़्यादा नमी है और 1491 मीटर की ऊंचाई वाले खासी पहाड़ियों की बदौलत यह नमी जैसे यहा रच बस गई है.
यहां औसतन सालाना बारिश 11,871 मिलीमीटर होती है. इस इलाके में काफी ज़्यादा हरियाली है. मुग्ध करने वाले जलप्रपात हैं और उससे गिरने वाले झरनों के नीचे आकर्षक पहाड़ी गुफाएं हैं. इससे 10 मील पूर्व में स्थित है चेरापूंजी,स्थानीय लोग चेरापुंजी को सोहरा नाम से जानते हैं. यह दुनिया की दूसरा सबसे नमी वाली जगह है.यहां औसतन बारिश मासिनराम से 100 मिलीमीटर कम होती है. हालांकि कई बार (कुछ महीने और सालों के दौरान) यह दुनिया का सबसे नमी वाला स्थान भी बन जाता है.बीते अगस्त से अब तक चेरापूंजी में 26,470 मिलीमीटर की रिकॉर्ड तोड़ बारिश दर्ज हो चुकी है. चेरापुँजी भी मेघालय राज्य का एक नगर है। दुनिया भर में सबसे ज़्यादा बारिश वाली ये दोनों जगहें मेघालय में मौजूद हैं. ये पूरा इलाका हमेशा बादलों से घिरा रहता है.
यहां लोग बेंत से बने छाते जिन्हें कनूप कहते हैं, साथ में रखते हैं ताकि शरीर हमेशा ढंका रहे और वो बारिश के दौरान भी लगातार काम करते रहें.यहां पर मजदूर अक्सर सड़कों पर बांस और केले के पत्ते से बने छाते को शरीर पर डालकर निकलते हैं। बारिश से सराबोर घाटियां और छोटे-छोटे खूबसूरत पुल यहां के खास आकर्षण हैं। स्थानीय लोगों ने पेड़ों की सहायता से पुल भी बना लिए हैं, जो समय के साथ उनकी जरूरत बनते जा रहे हैं।
लेकिन इस खुबसूरती के बीच यह भी हकीकत है कि यहा के लोगो का जीवन भी मुश्किलो भरा हैउनका ज्यादातर समय वहाँ बारिश से टूटी फूटी सड़कों की मरम्मत करने और नई सड़कें तैयार करने में लगता है.लगातार होने वाली भारी बारिश की वजह से इस इलाके में खेती करना असंभव है. ऐसे में लोग ड्रायर से सुखाए सामान तिरपाल से लपेट कर बाज़ारों में बेचे जाते हैं.
इसका अलावा इलाके में बने पुलों को सुरक्षित रखने में काफी मुश्किल होती है, जहां परंपरागत सामान जल्दी ही सड़ गल जाता है. ऐसे में लोग पेड़ों की जड़ों को आपस में बांधकर पुल बनाते हैं.
भारत में रबर के पौधे काफी मज़बूत होते हैं, उनकी जड़े काफी लचीली भी होती है. इसके जरिए स्थानीय लोग नदी नालों को पार कर जाते हैं. इसके अलावा बांस के पुल भी बनाए जाते हैं.
पेड़ की जड़ों और लचीले तनों के बीच बांस रखकर भी पुल बनाए जाते हैं. बाद में बांस के गल जाने पर भी पुल कायम रहते हैं. ऐसे में एक पुल को तैयार होने में 10 साल तक का समय लगता है.लेकिन हैरानी की बात है कि ऐसे पुल फिर सैकड़ों साल तक चलते हैं. इस इलाके में ऐसा एक पुल तो पांच सौ साल पुराना बताया जाता है.
चेरापुँजी समुद्र तल से 4,000 फुट की ऊँचाई पर है। ऑकडो के अगर बात करे तो आजकल चेरापुँजी में साल में औसतन 180 दिन बारिश होती है। लेकिन जून से लेकर सितंबर महीने तक ज़ोरो की बारिश होती है। ज़्यादातर बारिश रात में ही होने की वजह से पर्यटक बिना भीगे दिन में इस शहर की सैर कर सकते हैं।इस बात पर विश्वास करना बड़ा मुश्किल है कि इतनी बारिश होने के बावजूद यहाँ पानी की तंगी रहती है। और ऐसा अकसर सर्दी के मौसम में होता है।
यहा एक और जानकारी दे दें-मौसम इतिहासकार क्रिस्टोफर सी बर्ट के मुताबिक कोलंबिया का प्यूर्टो लोपाज दुनिया में सबसे ज़्यादा नमी वाली वाली जगह है. वे कहते हैं, "असल में दुनिया में सबसे ज़्यादा नमी वाली जगह कोलंबिया में प्यूर्टो लोपाज है जहां औसतन 12,892 मिलीमीटर बारिश होती है."
मासिनराम की रिकॉर्डतोड़ बारिश में से 90 फ़ीसदी बारिश महज छह महीनों के भीतर हो जाती है, मई से अक्तूबर के बीच. यहां जुलाई में सबसे ज़्यादा बारिश होती है. औसतन यहां इस महीने में 3500 मिलीमीटर बारिश होती है.
दिसंबर से फरवरी के बीच यहां बहुत कम बारिश होती है.बारिश के साथ साथ चेरापुँजी मे बड़े मनमोहक फूल भी है, जिनमें करीब 300 अलग-अलग किस्म के ऑर्किड फूल शामिल हैं, और माँसाहारी पौधों की एक अनोखी जाति, पिचर प्लान्ट भी पायी जाती हैं। इसके अलावा, यहाँ तरह-तरह के जंगली जीव-जन्तु पाए जाते हैं जिन्हें देखने में बड़ा अच्छा लगता है, और घूमने के लिए चूना पत्थर की गुफाएँ हैं और देखने के लिए महा पाषाण युग के पत्थर भी हैं। यहाँ संतरे के बड़े-बड़े बाग भी हैं जिनमें रसीले फल की पैदावार होती है साथ ही संतरे से स्वादिष्ट प्राकृतिक शहद भी बनाया जाता है। यह सबकुछ मेघालय में पर्यटकों की राह देखता है जो “मेघों का बसेरा” है तो आईये धुंध के तिलस्म के बीचलगातार रिमझिम बरसती बारिश वाले इलाके मे आपका स्वागत है