नई दिल्ली/लंदन,१८ जून (वी एन आई)आज जबकि विराट कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच खेल रही है और कप्तान विराट कोहली के लिए बतौर कप्तान उनका पहला आईसीसी फाइनल मुकाबला है.इस रोमांचक मेच के आज फादर्स डे पर होने की वजह से उन के प्रशंसको को वह दिन बरबस याद आ रहा है जबाकि विराट ने पिता की मौत की खबर सुनने के बावजूद एक सफल पारी खेली और्मैदान से सीधे घर पहुंचे जहा पिता का शव उनका इंतजार कर रहा था और फिर उन्होने पिता को मुखाग्नि दी.
पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले इस महामुकाबले में विराट कोहली के सामने अपनी कप्तानी और बल्लेबाजी की ताकत दोनों साबित करने की चुनौती होगी. विराट कोहली के पिता प्रेम कोहली की दिली ख्वाहिश थी कि उनका बेटा एक दिन टीम इंडिया के लिए खेलें. हालांकि वे अपने बेटे को टीम इंडिया की जर्सी में नहीं देख पाए. विराट महज 18 साल के थे तभी पिता का देहांत हो गया था.
एक इंटरव्यू में विराट कोहली की मां सरोज कोहली ने कहा था कि इस घटना के बाद से उनका बेटा अचानक से बदल गया. वह मानसिक रूप से परिपक्व हो गया था.
हाल ही में विराट ने एक इंटरव्यू में कहा कि जब उन्हें कप्तान बनाया गया था तो वे भावुक हो गए थे. उनकी नजरों के सामने क्रिकेट अकादमी में एडमिशन लेने से लेकर कप्तान घोषित होने तक की घटनाएं घुमने लगी थीं. आज विराट आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे हैं,
पिता की मौत के दिन विराट कोहली ने उनकी इच्छा पूरी करने के लिए ऐसा कदम उठाया था जो किसी मिसाल से कम नहीं है. साल 2006 में दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान पर दिल्ली और कर्नाटक के बीच रणजी ट्रॉफी का मैच हो रहा था. इस मैच में कर्नाटक की टीम ने अपनी पहली इनिंग में 446 रन बनाए थे. दिल्ली की टीम ने पहली इनिंग में शुरुआती 5 विकेट बेहद जल्दी गंवा दिए और उस पर फॉलोऑन का खतरा मंडराने लगा.
उस वक्त क्रीज पर विराट कोहली विकेटकीपर पुनीत बिष्ट के साथ बैटिंग कर रहे थे. दोनों ने दूसरे दिन कोई विकेट नहीं गिरने दिया, और दिन का खेल खत्म होने तक टीम के स्कोर को 103 तक पहुंचा दिया.
दूसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद विराट कोहली होटल के कमरे में सो रहे थे, तभी रात तीन बजे घर से कॉल आया कि कि ब्रेन स्टोक के चलते उनके पिता का निधन हो गया है. विराट कोहली के सामने बड़ी चुनौती थी. एक तरफ जहां पिता की मौत हो चुकी थी, वहीं दूसरी ओर रणजी मैच में टीम को उनकी जरूरत थी. इस मुश्किल घड़ी में फैसले लेने में मदद के लिए विराट कोहली ने अपने कोच राजकुमार शर्मा को फोन किया था.
उस वक्त ऑस्ट्रेलिया में मौजूद राजकुमार शर्मा ने विराट को समझाया कि पिता चाहते थे कि वे टीम इंडिया के लिए खेलें. ऐसे में रणजी मैच की यह पारी उनके करियर के लिए बेहद जरूरी है. पिता की इच्छा का ख्याल रखते हुए आप मैच में बैटिंग करने जाएं. विराट ने भी मजबूत इरादा दिखाते हुए मैदान में उतरे और 90 रनों की पारी खेलकर टीम को फॉलोऑन से बचा लिया. इसके बाद विराट घर गए और पिता का अंतित संस्कार किया.