मास्को, 28 जून । फुटबाल की विश्व नियामक संस्था फीफा ने कहा है कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने दक्षिण कोरिया के फुटबाल अधिकारियों से विश्व कप-2018 की मेजबानी हासिल करने के लिए मतदान में समर्थन देने को कहा था, जो फीफा के नियमों के खिलाफ है।
फीफा ने विश्व कप की मेजबानी के लिए आयोजित नीलामी पर जांच बिठाई थी, जिसकी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
समाचार एजेंसी स्पुतनिक के मुताबिक फीफा ने विश्व कप-2018 की मेजबानी रूस और विश्व कप-2022 की मेजबानी कतर को दिए जाने के संबंध में चल रही जांच की रिपोर्ट मंगलवार को सार्वजनिक की।
फीफा की एथिक्स समिति की जांच इकाई के पूर्व चेयरमैन और अमेरिका के वकील मिशेल गार्सिया ने इस जांच को अंजाम दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व कप-2018 के लिए दावेदारी पेश करने वाली इंग्लैंड की समिति के पूर्व अध्यक्ष और फीफा के पूर्व उपाध्यक्ष ज्यॉफ थॉम्पसन ने कबूल किया है कि उन्होंने वोट खरीदे थे। इस बात की पुष्टि दावेदारी पेश करने वाली टीम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एंडी एंसन ने की है।
फीफा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, "उनके बयान के अनुसार, वोट के बाद उन्होंने ज्यूरिख में इंग्लैंड के प्रिंस विलियम, प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और कोरिया से ताल्लुक रखने वाले फीफा के उपाध्यक्ष मोंग जून चुंग के साथ बाउर एयू लैस होटल में एक बैठक की थी। कोरिया विश्व कप-2022 की दावेदारी चाहता था।"
रिपोर्ट के मुताबिक, "प्रधानमंत्री ने चुंग से इंग्लैंड के पक्ष में वोट करने को कहा था। चुंग ने जवाब में कहा था कि वह ऐसा करेंगे, लेकिन इसके लिए थॉम्पसन को कोरिया के पक्ष में वोट करना होगा। थॉम्पसन का कहना है कि वह चुंग से मुलाकात के पहले से ही कोरिया के पक्ष में वोट करने पर विचार कर रहे थे।"
चुंग ने हालांकि इस तरह के आरोपों से इनकार किया है। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक थॉम्पसन का कबूलनामा चुंग के इनकार से कहीं ज्यादा मजबूत है।
फीफा विश्व कप-2018 की मेजबानी रूस को और फीफा विश्व कप-2022 की मैजबानी कतर को मिली है।
फीफा की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि रूस और कतर ने विश्व कप की मेजबानी खरीदी थी।--आईएएनएस