नई दिल्ली, 12 अगस्त, (वीएनआई) उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक बयान में कहा है कि वो कभी भी उपराष्ट्रपति' बनना नहीं चाहते थे।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने दो साल के कार्यकाल पर एक किताब का रविवार को विमोचन करते हुए कहा, मैं कभी कोई पद नहीं लेना चाहते था, बल्कि मैं भारतीय जनसंघ के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख के नक्शेकदम पर चलते हुए रचनात्मक कार्य करना चाहता था। जिस दिन मेरा नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया, उस दिन मेरी आंखों में आंसू थे और उसकी वजह केवल एक थी कि अब मैं भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर नहीं जा पाऊंगा और ना ही पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत कर पाऊंगा।
वेंकैया नायडू ने आगे कहा, पार्टी ने मुझे सबकुछ दिया, सिवाय प्रधानमंत्री पद के, जिसके लिए मैं उपयुक्त नहीं था। मेरे प्यारे दोस्तों मैं आपको सच बताता हूं... मैं कभी भी उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहता था...। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपनी इच्छा जाहिर की थी, कि उनके दूसरे कार्यकाल में यानी 2019 के बाद मैं अपना पद छोड़ना चाहता हूं और नानाजी देशमुख का अनुसरण करते हुए रचनात्मक कार्यों में लगना चाहता हूं। मैं जमीन पर इसकी योजना बना रहा था... मुझे यह सोचकर मजा आ रहा था कि मैं ऐसा करूंगा... लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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