नई दिल्ली, 22 मई, (वीएनआई) लोकसभा चुनाव की मतगणना में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी और एनडीए दोबारा पूरे देश में बड़ी कामयाबी हासिल करती दिख रही है। लेकिन दक्षिण एक राज्य तमिलनाडु एवं केरल में भाजपा का खाता नहीं खुल रहा है।
लोकसभा चुनाव में ओडिशा, पश्चिम बंगाल और नॉर्थ-ईस्ट में उसे पहले की तुलना में कहीं ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं। कर्नाटक और बिहार में भी उसकी सीटों में बड़ा इजाफा हो रहा है। लेकिन, तमिलनाडु और केरल से एक बार फिर उसे निराशा हाथ लगी है।
तमिलनाडु में बीजेपी इस बार वहां की सत्ताधारी एआईएडीएमके और पीएमके जैसी पार्टियों के साथ चुनावी गठबंधन भी किया था। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने वहां हिंदी-हार्टलैंड की तरह जातीय समीकरणों के हिसाब से उम्मीदवारों को टिकट दिलवाने की पहल की थी। लेकिन लगता है कि तमिलनाडु के मतदाताओं ने उनकी रणनीति पर पानी फेर दिया है। एनडीए गठबंधन को राज्य की 39 में से दोपहर 12.30 बजे तक सिर्फ 3 सीटों पर बढ़त दिख रही थी। जबकि बाकी सीटों पर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को बढ़त मिली हुई थी। गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में जब एआईएडीएमके चीफ जे जयललिता जीवित थीं, तो वहां पार्टी को अकेले 37 सीटें मिली थीं।
वहीं केरल में भी बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन, सीटों के रुझानों में उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। पार्टी ने वहां भी यूडीएफ एवं सत्ताधारी एलडीएफ की तर्ज पर अपना एक गठबंधन बनाया था। लेकिन राज्य की 20 से एक दिन के साढ़े 12 बजे तक एक भी सीट पर उसके उम्मीदवार को बढ़त नहीं मिलती दिख रही है। यहां 19 पर कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ को बढ़त मिली हुई है, जबकि एलडीएफ सिर्फ 1 सीट पर ही कभी आगे या कभी पीछे चल रही है।
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