नई दिल्ली, 5 अक्टुबर (वीएनआई) 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भारत की अवधारणा के अनुरूप राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीड परायी जाणे रे...'के साथ दुनिया भर के कलाकारों ने एक परिवार की तरह आवाज मिलाते हुए पराई पीड़ा को समझने का संगीतमय संदेश दिया.
वीडियों के जरिये इस बहुरंगी संगीत मेडले की गूंज दुनिया भर में सुनाई दी. यह मेडले महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर दुनिया भर मे चलने वाले वर्ष पर्यंत समारोहों के सिलसिले मे तैयार की गई है. इस मेडले मे 124 राष्ट्रों के कलाकारों ने 'भजन' के जरिये बापू को संगीतमय श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत मंगलवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन के समापन समारोह के दौरान 40 से ज्यादा देशों के कलाकारों द्वारा प्रसिद्ध भजन का मेडले संस्करण जारी किया।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी इस वीडियों में न/न केवल दुनिया भर के जाने माने कलाकरो बल्कि नौरू के रा्ष्ट्रपति बेरन दिववेसी वाका ने भी अपनी आवाज दी है.इस भजन मे एक तरफ जहा पाकिस्तान, माल्दीव, चीन, श्री लंका, नेपाल के कलाकारो की अपने देश के संगीत धुनों की सुमधुर आवाजे सुनाई देती है वही, जापान, फिनलेंड, जर्मनी, ईरान, इराक, अंगोला आयलेंड जैसे कितने ही देशो के कलाकारों ने इस भजन के अंश गाये है.
मंत्रालय के अनुसार इन सभी देशों मे भारतीय दूतावासो ने इन कलाकारो का चयन किया और स्थानीय भाषाओं के रंग बिखेरता एक सतरंगी भजन वीडियों हमारे सम्मुख है.पंद्रहवी सदी मे नरसी मेहता द्वारा लिखे गये इस भजन को बापू की नियमित प्रार्थना सभा मे गाया जाता था तथा यह बापू के प्रिय भजनों मे से एक रहता था.वी एन आई
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