नई दिल्ली, 24 जून, (वीएनआई) शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में अमेरिका को भारतीय मामले में हस्तक्षेप ना करने को कहा है। साथ ही कहा है कि भारत के मामलों में अपनी नाक ना घुसेड़े।
अमेरिका के विदेश विभाग की रिपोर्ट पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में तीखा पलटवार करते हुए सामना में अमेरिकी चुगलखोरी शीर्षक के साथ लिखा कि अमेरिका में सरकार किसी भी क्यों ना हो, लेकिन ये लोग खुद को दुनिया का पालन हार मान लेते हैं। उन्हें लगता है कि वो ही एकमात्र सत्ता हैं और पूरी दुनिया की होशियारी इन लोगों के पास है, ये खुद को लोगों को सीख देने वाला स्वघोषित ठेकेदार मानते हैं। हर अमेरिकी सत्ताधारी को ऐसा लगता है कि उनके पास ही दुनिया का ठेका है। ऐसे में अगर भारत में अल्पसंख्यकों और मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर ट्रंप सरकार के विदेश विभाग को चिंता है, लेकिन इसकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।
सामना में आगे लिखा है कि जब पहले देश में गोमांस रखने की खबरें सामने आई थी तो उस वक्त भी अमेरिका ने मगरमच्छ के आंसू बहाए थे। देश की सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम इंडिया 2018 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-2017 के बीच भारत में जातीय हिंसा 9 फीसदी बढ़ी है और 822 घटनाओं में कुल 111 लोगों की मौत हुई है। इस रिपोर्ट को अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने तैयार किया है। अमेरिका के पास दिव्य दृष्टि है, यही वजह है कि इन लोगों को छोटे देशों में होने वाले मानवाधिकार उल्लंघन के मामले घर बैठे पता चल जाते हैं लेकिन ईराक में रासायनिक हथियारों के नाम पर इन लोगों ने जो किया उसे हर कोई जानता है।
गौरतलब है अमेरिका के विदेश विभाग ने हाल ही में कहा था कि भारत में धर्म के नाम पर हिंसा बढ़ गई है और हिंदू संगठन अल्पसंख्यकों और मुसलमानों पर हमले कर रहे है। यह रिपोर्ट अमेरिका के विदेश विभाग ने तैयार की थी, जिसमे कहा गया है कि मोदी सरकार इन हमलों को रोकने में नाकाम रही है।
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