नई दिल्ली, 09 मार्च, (वीएनआई) सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के मुददे पर मध्यस्थता के आदेश पर शिवसेना ने कहा कि अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए अध्यादेश जरूरी, मध्यस्थता से कुछ भी नहीं होने वाला है।
शिवसेना की तरफ से आज कहा गया कि राम जन्मभूमि एक भावनात्मक मुद्दा है और इसे मध्यस्थता के जरिये हल नहीं किया जा सकता। शिवसेना ने पूछा कि जब राजनेता, शासक और सर्वोच्च न्यायालय अब तक इस मुद्दे को हल नहीं कर सके तो फिर ये तीन मध्यस्थ क्या करेंगे। पार्टी ने केंद्र से इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने और राम मंदिर का निर्माण शुरू करने को कहा है। शिवसेना ने कहा कि शीर्ष अदालत ने राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला टाल दिया है और इस मामले का फैसला अब लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा। पार्टी ने कहा कि एकमात्र सवाल यह है कि यदि मध्यस्थता के माध्यम से मुद्दे को हल किया जा सकता है, तो विवाद 25 वर्षों तक क्यों जारी रहा और सैकड़ों लोगों को अपनी जान क्यों गंवानी पड़ी?
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को मध्यस्थता का एक और मौका देते हुए न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के संभावित हल की संभावना मध्यस्थता के जरिये तलाशने की कोशिश करेगी।
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