नई दिल्ली, 26 सितम्बर, (वीएनआई) सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बीते बुधवार को पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदाम अठावले ने कहा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और उनसे अनुरोध करेंगे और इस पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुए संसद में एक बिल लाने की मांग करेंगे। अठावले ने कहा कि हमारे सविंधान में एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण के लिए प्रावधान है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ये वर्ग नौकरियों में नहीं दिखेंगे। अठावले ने आगे कहा कि संविधान द्वारा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों को प्रदान किया गया आरक्षण हर जगह और क्षेत्र में लागू होना चाहिए। मैं पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमत हूं और यह निर्णय देश में एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के साथ अन्या है। संविधान द्वारा प्रदान किया गया आरक्षण - जिसे भीम राव अम्बेडकर द्वारा तैयार किया गया था- हर क्षेत्र में समाज के वंचित वर्गों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए हर क्षेत्र और स्थान पर लागू किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी वर्ग को आरक्षण के मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पदोन्नत में आरक्षण की जरूरत नहीं बताई। इसके साथ-साथ कोर्ट ने इस मामले को राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। न्यायलय ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना जरूरी नहीं है। अगर राज्य सरकारें चाहे तो वो आरक्षण दे भी सकती हैं और नहीं भी। वहीं बसपा अध्यक्ष मायावती ने एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कुछ हद तक स्वागत किया जा सकता है क्योंकि अदालत ने आरक्षण लागू करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और यह तय किया है कि केंद्र और राज्य सरकारें, यदि वे चाहें तो, एससी और एसटी श्रेणियों से सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देना जारी रख सकती हैं।
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