नई दिल्ली, 9 अगस्त (वीएनआई)| मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने आज राज्यसभा में कहा कि नव-उदारवादी आर्थिक नीतियां, जो लोगों को गरीब बना रही हैं, उन्हें 'भारत छोड़' देना चाहिए।
संसद के उच्च सदन में उन्होंने कहा, अगर 'भारत छोड़ो आन्दोलन' की 75वीं वर्षगांठ पर किसी चीज को भारत छोड़ना चाहिए तो वे नव-उदारवादी आर्थिक नीतियां हैं, जो लोगों को गरीब बना रही हैं। यह सांप्रदायिकता है, जो हमारे देश के लोगों को बांट रही है। जब भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के नेताओं ने इस पर टोकाटोकी की, तो येचुरी ने कहा, "यह तो माननीय प्रधानमंत्री ने कहा है कि सांप्रदायिकता को देश छोड़ देना चाहिए और मैं भी सांप्रदायिकता की ही बात कर रहा हूं। मैं कह रहा हूं कि क्या हम इसे भगाने के लिए कुछ कर रहे हैं?"
येचुरी ने कहा कि वर्तमान आर्थिक नीतियां बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि कर रही हैं, तथा अमीर और गरीब के बीच की खाई को और चौड़ा कर रही हैं। येचुरी ने कहा, साल 2014 में जीडीपी का 49 फीसदी भारत की एक फीसदी आबादी के पास था और अब जीडीपी का 58.4 फीसदी महज एक फीसदी लोगों के हाथों में है। क्या इसी भारत का 1947 में सपना देखा गया था, जब हम आजाद हुए थे? येचुरी ने कहा, भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए हमें आन्दोलन करना होगा, न कि भारत में हिन्दू पाकिस्तान बनाने के लिए। उन्होंने कहा, "क्या संकल्प होना चाहिए? यह सिर्फ अतीत की स्मृतियों को याद करनेवाला नहीं होना चाहिए। यह अच्छा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम आगे की तरफ बढ़ रहे हैं या हम पीछे की तरफ बढ़ रहे हैं।"
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