नई दिल्ली, 26 नवंबर, (वीएनआई) संविधान दिवस के 70 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें अपने अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों का भी ध्यान रखना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को अपने आखिरी भाषण में देश को याद दिलाया था कि भारत पहली बार आजाद नहीं हुआ है, न ही पहली बार गणतंत्र बना है। प्रधानमंत्री ने आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि हमने अपनी ही गलतियों से अतीत में आजादी भी खोई है और गणतंत्र का दर्जा भी खोया है। उन्होंने चेताते हुए पूछा था कि हमें आजादी मिल गई है, लेकिन इसे अक्षुण्ण रखने के लिए ध्यान रखना होगा।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि बीते 70 सालों में हम सभी ने बाबा साहेब आंबेडकर के सवालों का न सिर्फ जवाब दिया है बल्कि आजादी और लोकतंत्र को सशक्त भी किया है। मोदी ने कहा हमने 26 नवंबर को संविधान को अंगीकार किया था। आज का यह दर्द भी पहुंचाता है, जब हजारों साल की पुरानी संस्कृति और वसुधैव कुटुंबकम के साथ जीने वाली सभ्यता को आतंकियों ने छलनी करने का प्रयास किया। मैं उन सभी हुतात्माओं को नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि 7 दशक पहले इसी सेंट्रल हॉल में संविधान के एक-एक अनुच्छेद पर गहन बात हुई। सपनों, संकल्पों, आशाओं, आस्था और विश्वास पर चर्चा हुई। यहां भारत के हर कोने के सपनों को शब्दों में मढ़ने का प्रयास हुआ।प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों से आह्वान करते हुए कहा कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने कार्यक्रमों में कर्तव्यों की बात करें। हमारा संविधान हम भारत के लोग से शुरू होता है। मोदी ने कहा कि संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा ग्रंथ है। इसमें तमाम चीजों का समावेश है और जटिल स्थितियों का समाधान भी है।
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