नई दिल्ली, 17 दिसंबर, (वीएनआई) नागरिकता कानून के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मिलकर इस कानून के खिलाफ ज्ञापन सौंपा है।
राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार इस ऐक्ट को लागू करने के लिए आम लोगों और विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है, जो सफल नहीं होगी। सोनिया गांधी ने कहा कि हमने राजधानी समेत देश भर में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते पैदा हुई स्थिति में राष्ट्रपति से दखल की अपील की। उन्होंने कहा, पुलिस ने जिस तरह से छात्राओं की पिटाई की वह निंदनीय है और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। मोदी सरकार ऐक्ट को लागू करने के लिए लोगों की आवाज को दबाना चाहती है। यह विपक्ष और जनता को स्वीकार नहीं है।
सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि राष्ट्रपति देश के संविधान के कस्टोडियन हैं। हमने उन्हें संवैधानिक उल्लंघन के खिलाफ शिकायत की है और उन्हें आवेदन दिया है कि वह अपनी सलाह दें कि इस कानून को वापस लिया जाए।
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि हमने पहले ही आशंका जताई थी कि इससे देश में अशांति हो सकती है। वही हो रहा है। रामगोपाल यादव ने कहा कि इस ऐक्ट और एनआरसी ने देश के लोगों में भय पैदा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट को सरकार ने पूरी तरह से देश से काट दिया है। पाकिस्तान समेत पड़ोसी देश यही चाहते हैं कि वे हमारे देश को तोड़ें और सरकार उन्हें ऐसा मौका दे रही है।
टीएमसी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमने राष्ट्रपति इस बिल को वापस लेने की अपील की है। टीएमसी की ओर से कहा गया है कि ये कानून देश को जला रहा है, हमने राष्ट्रपति से दरख्वास्त की है कि वो इस ओर ध्यान दें। जिस तरह से देश में इस कानून के चलते अव्यवस्था फैली है, वो सबके सामने है लेकिन सरकार इस ओर से आंख मूंदे है। वहीं कांग्रेस के अलावा, राजद, टीएमसी, डीएमके, लेफ्ट, सपा और दूसरे विपक्षी दलों के नेता इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे।
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