नई दिल्ली, 08 जनवरी, (वीएनआई) लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जाति के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसले पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा बयान दिया है।
गौरतलब है केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बीते सोमवार को आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जाति के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण का यह अहम फैसला लिया गया। केंद्र सरकार संविधान में संशोधन के जरिए सवर्ण समाज के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाएगी। वहीं मोदी सरकार के इस फैसले से देश की राजनीती में हलचल तेज हो गई है।
उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा, बहुजन समाज पार्टी उच्च जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण का स्वागत करती है। केंद्र सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला सही है, लेकिन इस फैसले के पीछे की मंशा सही नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लिया गया ये फैसला हमें सही नीयत से लिया गया फैसला नहीं लगता है, बल्कि एक चुनावी स्टंट लगता है, राजनीतिक छलावा लगता है। अच्छा होता अगर भाजपा अपना कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले नहीं, बल्कि और पहले इस फैसले को ले लेती।
मायावती ने आगे कहा, मेरा मानना है कि विभिन्न अल्पसंख्यक धार्मिक वर्गों के गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण का दायरा बढ़ाना चाहिए। गरीबों, आदिवासियों और दलितों का आरक्षण केवल शिक्षा क्षेत्र या नौकरियों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि जिन क्षेत्रों में अभी तक आरक्षण नहीं है, वहां भी इसे लागू करना चाहिए। हम केंद्र सरकार से यह भी मांग करते हैं कि पिछड़ों और गरीबों की आबादी के आधार पर सरकार को इनके लिए एक अलग आरक्षण नीति की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। मैं यह भी मांग करती हूं कि एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को उनकी बढ़ती आबादी को देखते हुए 50% तक बढ़ाया जाना चाहिए।
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