नई दिल्ली, 9 अप्रैल (वीएनआई)| देश में दलितों, जनजातियों व अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित तौर पर अत्याचार को उजागर करने के लिए कांग्रेस की राजघाट पर दिन भर की भूख हड़ताल पर आज विवाद के साथ शुरू हुई।
1984 के दंगे के आरोपी नेता जगदीश टाइटलर व सज्जन कुमार ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यक्रम में पहुंचने से पहले ही मंच छोड़ दिया। कांग्रेस के सरकार विरोधी प्रदर्शन में पहुंचने के तत्काल बाद टाइटलर व सज्जन को महात्मा गांधी की समाधि से जाते हुए देखा गया। उन्हें स्पष्ट तौर पर कथित रूप से 1984 के दिल्ली के सिख विरोधी दंगों से संबंध को लेकर जाने के लिए कहा गया। टाइटलर बाद में भीड़ में बैठे दिखाई दिए। टाइटलर पर आरोप है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्होंने दंगाइयों को सिखों के खिलाफ उकसाया था। इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने ही कर दी थी। सज्जन कुमार राजघाट से चले गए। सज्जन पर भी दंगों से जुड़े दो मामलों में शामिल होने का आरोप है। हालांकि, दोनों में से किसी के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं।
दिल्ली प्रदेश काग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने साफ किया कि दोनों नेताओं से जाने के लिए नहीं कहा गया था। उन्होंने कहा कि मंच और इसका स्थान कुछ कांग्रेस पदाधिकारियों के लिए आरक्षित था। माकन ने कहा, हम देश के सभी धर्मो व जातियों की एकजुटता व भाईचारे के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि हम एक संदेश दे सकें कि सभी भारतीय एक हैं और जाति के आधार पर कोई विभाजन नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि उसके नेता सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए भूख हड़ताल कर रहे हैं और सरकार की दलित विरोधी नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस की इकाइयां भी देश भर में उपवास रखेंगी। यह उपवास दलित संगठनों द्वारा आहूत 'भारत बंद' के बाद हो रहा है। दलित संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दलितों व जनजातियों के खिलाफ अत्याचार रोकथाम कानून को कमजोर करने के खिलाफ 'भारत बंद' का आह्वान किया था। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर की है।
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