नई दिल्ली, 3 अगस्त (वीएनआई)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर विस्तृत नाटक के बाद भाजपा को गले लगाने का आरोप लगाते हुए माकपा ने कहा कि बहुरंगी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के गठबंधन से उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि ये मोदी सरकार से लड़ सकता है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पत्रिका 'पीपुल्स डेमोक्रेसी' के संपादकीय में कहा गया, नीतीश कुमार की राजनीतिक कलाबाजी भारतीय राजनीति के इतिहास में अपने तरह की सबसे बड़ी है, जो पूंजीवादी राजनेताओं के इस अवसरवादी व्यवहार से पूरिपूर्ण है। इसमें कहा गया कि बिहार में 2015 में चुनाव जीतने के बाद नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा-विरोधी गठबंधन बनाने के सबसे प्रखर समर्थक थे। संपादकीय में कहा गया कि बिहार में नीतीश कुमार और उनके जदयू ने अचानक राजद व कांग्रेस से गठबंधन तोड़ दिया और कुछ घंटों के भीतर ही भाजपा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बना ली। कहा गया, अब यह साफ है कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के बेटे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी का इस्तेमाल अपने विस्तृत नाटक के लिए किया।
माकपा ने कहा कि महागठबंधन के वास्तुकार ने खुद ही भारतीय जनता पार्टी के शिविर को गले लगा लिया, जिससे महागठबंधन की अवधारणा तार-तार हो गई। कहा गया कि माकपा मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ बड़े स्तर पर एकता बनाने को लेकर चिंतित है, लेकिन पचमेल धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का गठबंधन यह मकसद पूरा नहीं कर सकता। इसमें कहा गया, "इस तरह का गठबंधन क्यों अप्रभावी है, इसलिए कि बहुत सी क्षेत्रीय पार्टियों का चरित्र अविश्वसनीय है। ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों ने नव-उदार नीतियों को स्वीकार किया है और उनके अवसरवादी गठबंधन करने की संभावना है। संपादकीय में कहा गया, आज सभी विपक्षी पार्टियों के एक अवसरवादी गठबंधन की जरूरत नहीं है, बल्कि एकजुट होकर बड़े स्तर पर मजदूर वर्ग, किसानों व दूसरे तबके के कामगार लोगों के मुद्दों को व्यापक तौर पर मंचों पर रखने की जरूरत है और बड़े स्तर पर सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई के लिए एकजुट होने की जरूरत है।
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