नई दिल्ली 8 जनवरी (वीएनआई) केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में सांड को काबू में करने के विवादास्पद खेल 'जल्लीकट्टू यानी ' मंजू विरट्टू (सांड को काबू करना ), पर से प्रतिबंध हटा दिया है। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू एक लोकप्रिय खेल रहा है, मदुरई के पास स्थित कई गाँवों में जनवरी में पोंगल के मौके (फसल कटाई का त्यौहार ) पर मट्टू पोंगल के दिन विशेष तौर पर जल्लीकट्टू यानी सांड को काबू में करने के खेल का आयोजन होता है. हालांकि पशुप्रेमी संगठन इस खेल का विरोध करते रहे हैं पर अब पर्यावरण और वन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए खेल को मंज़ूरी दे दी है.इससे तमिलनाडु में जश्न का माहौल बन गया है
तमिलनाडु में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसे देखते हुए ये फ़ैसला अहम माना जा रहा है. तमिलनाडु सरकार के अलावा कई किसान संगठनों ने भी मांग की थी कि केंद्र सरकार क़ानून में बदलाव करे.तमिलनाडु के राजनीतिक दल इस प्रतिबंध को हटाने की मांग कर रहे थे।
पर्यावरण मंत्रालय ने 2011 की अधिसूचना में थोड़ा बदलाव करके आज नई अधिसूचना जारी की, जिसमें जल्लीकट्टू और देश के कुछ राज्यों में होने वाली परंपरागत बैलगाड़ी दौड़ पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है। , अधिसूचना केअनुसार जल्लीकट्टू के तहत सांड या बैलों को 15 मीटर के दायरे के अंदर ही काबू करना होगा। महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल और गुजरात में होने वाले परंपरागत बैलगाड़ी दौड़ पर भी लगी रोक हट गई है। बशर्ते ये दौड़ एक विशेष ट्रैक पर ही कराई जाए, जो दो किलोमीटर से ज्यादा लंबा ना हो। पूर्वोत्तर के दौरे पर गये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि उचित सुरक्षा और जानवरों पर अत्याचार नहीं करने की शर्त पर जल्लीकट्टू की इजाजत दी गई है।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। इस अधिसूचना के बाद तमिलनाडु में जश्न सा माहौल है।
गौरतलब है किं सुप्रीम कोर्ट ने मई 2014 में केंद्र सरकार के तब के नोटिफ़िकेशन को सही ठहराया था जिस पर जल्लीकट्टू पर बैन लगाया गया था