दिल्ली 11 जनवरी (वीएनआई) रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही...
जब कभी ऐसे कोई मस्ताना
सूरज देख रुक गया है तेरे आगे झुक गया है
निकले है अपनी धुन में दीवाना
शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतज़ार के
ओ राही, ओ राही...