सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 29 -12-2016
चरित्र पेड़ की तरह है ,उसकी छाया प्रतिष्ठा की तरह है ,हम छाया पर ज्यादा ध्यान देते हैं ,पेड़ पर नहीं
पेड़ अपने फलों से जाना जाता है ,मनुष्य अपने कर्मों से ,अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते
कड़े और सख्त पेड़ ही पहले टूटते हैं ,लचीले पेड़ आसानी से नहीं टूटते
वो पेड़ जो बहते पानी के निकट होता है ,तरो ताजा रहता है और ज्यादा फल देता है