सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 22 -04-2017
क्लॉसिक वो पुस्तक है जिसकी तारीफ हो, पर जिसे पढ़ा न जाये
क्लॉसिक वो पुस्तक है जो पाठक को आखिर तक न बता पाए की वो कहना क्या चाहती है
पुस्तकों को 2 भागों में बांटा जा सकता है एक जो कालजयी हैं, दूसरी जो महज आज के लिए हैं