हैदराबाद, 8 जनवरी (अनुपमा जैन/ वीएनआई )एक मंदिर जो वीजा दिलवाता है ,इस मंदिर कोई भी दान पेटी नहीं है इस मंदिर में सभी को बराबरी से दर्शन मिलते है , ख़ास व्यक्तियों के लिए यहां अलग से कोई व्यवस्था नहीं की जाती.....
हैदराबाद से करीब 17 किमी की दूरी पर स्थित है, चिलकुर बालाजी मंदिर. यानी वीजा मंदिर के नाम से मशहूर मंदिर । यहां मुख्यत: वे लोग दर्शन करने आते हैं जो रोजगार के सिलसिले में या पढने विदेश जाना चाहते हैं, और विदेश जाने का सपना पाले ऐसे लोग मन्नत ले कर लाखो की तादाद में मंदिर तक पहुंच जाते है । कहा जाता है कि मंदिर की 11 परिक्रमाएं करने से मुराद पूरी होती है।जब किसी श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वह पुन: बालाजी के दर्शन करने आता है। उस समय उसे 108 परिक्रमाएं पूरी करनी होती हैं। मंदिर काफी प्राचीन है जो को मदन्ना /अकन्ना शासन काल में बनाया गया था यह प्राचीन हिंदू मंदिर भगवान बालाजी और उनकी पत्नी श्री देवी और भू देवी को समर्पित है। यह मंदिर किसी भी प्रकार के धन को स्वीकार नहीं करता है जिससे इससी ख्याति पूरे विश्व में है। वास्तव में मंदिर कोई भी दान पेटी/ हुंडी नहीं है। मंदिर में वी आई पी लोगो के लिए दर्शन कर लिए यहां अलग से कोई व्यवस्था नहीं की जाती।
यह मंदिर उसमान सागर झील के किनारे पर बना है और मेहदीपट्नम से करीब 33 किमी दूर है। इनमें से ज्यादातर दक्षिण भारत के श्रद्धालु होते हैं लेकिन अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद भी काफी होती है। मंदिर से जुड़े कई श्रद्धालु अपने अनुभव बताते हैं कि यहां प्रार्थना करने के बाद विदेश में नौकरी पाने का उनका सपना सच हो गया। इसलिए चिलकुर बालाजी को वीजा बालाजी मंदिर भी कहा जाता है। श्रद्धालुओं में अधिकतर युवा और 40 साल तक के लोगों की संख्या काफी होती है। मंदिर की एक और खासियत यह है कि इसमें कोई दानपेटी नहीं है। यहां किसी प्रकार का दान आदि नहीं लिया जाता है। यहां केवल पार्किंग फीस ली जाती है जिससे मंदिर का खर्च चलता है।मंदिर शुक्रवार, शनिवार और रविवार के दिन खुलता है। इस दौरान यहां श्रद्धालुओं की संख्या 70 हजार से ज्यादा होती है। कई बार एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु बालाजी के दर्शन करने आते हैं। यहां प्रात: 4 बजे ही श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर आने लगते हैं और दिन में भीड़ बढऩे लगती है.वी एन आई