इस मंदिर में पूजा की जाती है एक मुस्लिम 'मॉ'-डोला की , जो मानी जाती है गॉव की रक्षक

By Shobhna Jain | Posted on 20th Jul 2017 | देश
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अहमदबाद,20 जुलाई (वी एन आई)गुजरात के अहमदाबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर एक गांव है झुलासन। बेहद समृद्ध और विकसित इस गांव की आबादी करीब 5000 है और इस गांव के 1700 से भी ज्यादा लोग अमेरिका और कैनेडा जैसी जगहों पर बस चुके हैं। इस गांव की सबसे बड़ी पहचान में से एक यह भी है कि यह भारतीय मूल की अमेरिकन एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स का पैतृक गांव है। 1960 में उनके पिता दीपकभाई पंड्या यहां से यूएसए चले गए थे और बाद में बोस्टन में डॉक्टर के तौर पर काम करने लगे। 
 
बहरहाल इस गांव की जिस दूसरी सबसे खास बात का हम यहां जिक्र कर रहे हैं वो हिन्दू मुस्लिम एकता की एक अनूठी मिसाल है। वैसे तो यहां पर हिन्दुओं के कई मंदिर हैं लेकिन सबसे बड़ा मंदिर डोला माँ का मंदिर है जो देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। आपने नाम पर गौर किया ? डोला माँ का मंदिर। क्या आप जानते हैं ये डोला माँ कौन थीं जो इस मंदिर में पूजीं जाती हैं।

दरसल ये डोला माँ, एक मुस्लिम महिला थीं। ऐसा कहते हैं कि आज से लगभग 250 साल पहले इस गांव में घुसपैठियों और लूटेरों का आक्रमण हुआ था और डोला माँ ने बेहद बहादुरी से उनका सामना किया था। इस लड़ाई में गांव को बचाते बचाते उन्होंने अपनी जान दे दी। मान्यता है कि मरने के बाद डोला माँ, एक फूल में बदल गयीं थीं। जिस जगह वे फूल में बदलीं थीं वहीं पर लोगों ने एक भव्य मंदिर बनवा दिया और डोला माँ की पूजा होने लगी। 

गांव के लोगों का विश्वास है कि डोला ्मॉ आज भी गांव की रक्षा करती हैं और साथ ही साथ लोगों के दुःख दर्द भी दूर करती हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले कई सालों से इस गांव में कोई मुस्लिम परिवार नहीं रहता और डोला माँ की पूजा हिन्दुओं द्वारा ही प्रमुखता से की जाती है। क्योंकि इस गांव के ज्यादातर लोग विदेश जा चुके हैं इसलिए इस मंदिर को "डॉलर माता का मंदिर" नाम से भी जाना जाता है। 

जब सुनीता विलियम्स यहां आयीं थीं तो गांव वालों ने उनकी अंतरिक्ष यात्रा के लिए इस मंदिर में एक अखंड जोत जलाई थी जो सुनीता के स्पेस से लौटने तक लगातार 4 महीने जलती रही थी।
 
 
 
 
 

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