जयपुर, 20 जुलाई । कुछ घटनाएं कभी-कभी व्यक्ति को ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करती है, जो उसकी कल्पना से परे होता है। कुछ ऐसी ही घटना हिन्डोनसिटी जिला करौली के निवासी मनीष के साथ घटी, जो टैक्सी चलाकर अपने छोटे से परिवार का गुजर-बसर कर रहे थे। इसी बीच एक दिन जब चिकित्सकों ने बताया कि उनके बेटे हितेश (13) को रक्त कैंसर है, तो जैसे उनका कलेजा मुंह को आ गया। जिस बेटे को लेकर उन्होंने इतने सारे सपने संजोये था, उसकी जिंदगी पर अचानक इतना बड़ा खतरा आ गया। सोचा था पढ़-लिखकर बाबू बनेगा और टैक्सी चलाने के बजाय अफसर बनकर परिवार के सारे दुख-दर्द दूर करेगा, लेकिन ईश्वर को कुछ और मंजूर था।
लेकिन कहावत है, 'जाको राखे साईयां मार सके न कोय..।' चिकित्सकों ने जब मनीष को बताया कि हितेश का इलाज संभव है और वह पूर्णत: ठीक हो जाएगा, तो उनकी सांस में सांस आई, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि उसके इलाज में पांच लाख रुपये का खर्च आएगा, तो एक बार फिर उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। जहां महीने का राशन और बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने में ही चार लोगों से उधार लेना पड़ता था, ऐसी हालत में इतने बड़े खर्च की बात सुनकर उनकी रूह कांप गई।
लेकिन दुनिया उतनी भी मतलबी नहीं है, जितना हम सोचते हैं। इंसानियत आज भी जिंदा है और इसे जिंदा रखने के लिए लोग अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ऐसे कठिन वक्त में मनीष का साथ जयपुर स्थित भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय ने दिया, जिसने न सिर्फ हितेश का नि:शुल्क इलाज किया, बल्कि उसकी बदौलत आज हितेश पूरी तरह स्वस्थ है। केवल हितेश ही नहीं, अस्पताल के प्रयास से आज की तारीख में 46 बच्चे पूरी तरह कैंसर मुक्त हो चुके हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं।
इस बारे में अस्पताल के चिकित्सकीय निदेशक डॉ.श्रीगोपाल काबरा ने कहा, "उपचार साध्य बच्चों के कैंसर का इलाज अगर अभिभावक आर्थिक विवशता के कारण न करा पाएं, तो निरीह बच्चे की अकाल मृत्यु के लिए कौन उत्तरदायी होगा? इलाज महंगा है और परिवार के मुखिया की आर्थिक मजबूरी समझी जा सकती है। ऐसे में बच्चों की इस गंभीर बीमारी का इलाज कराने की व्यवस्था न होना, अनायास ही सही, एक सामाजिक हिंसा है। इसी को ध्यान में रखते हुए भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के न्यासियों ने 'डोनेट ए लाइफ-एक जीवनदान योजना' शुरू की है, जिसके तहत रक्त कैंसर से पीड़ित बच्चे के सार्थक इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की राशि खर्च कर बच्चे को मौत को मुंह से बचाया जाता है।"
उन्होंने कहा, "इस परियोजना के लिए अलग से एक कोष की स्थापना की गई है, जिसमें दानदाताओं ने 22 करोड़ रुपये का दान दिया है और इसमें से अभी तक डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।"
हितेश के पिता मनीष ने कहा, "मुफलिसी के जिस दौैर से हम गुजर रहे थे, वैसे में हमारे बच्चे को इस गंभीर बीमारी का होना हमारे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूटने जैसा था। हमने तो पूरी उम्मीद ही छोड़ दी थी, क्योंकि बीमारी का नाम सुनकर ही हमें लगने लगा था कि इसका इलाज हमारे वश की बात नहीं है। लेकिन ऐसे में डॉ.उपेंद्र शर्मा और भगवान महावीर कैंसर अस्पताल प्रबंधन हमारे लिए भगवान बनकर आया और उन्होंने न सिर्फ हमारे बच्चे की जान बचाई, बल्कि पूरा इलाज नि:शुल्क किया। एक साल के इलाज के बाद आज जो दवाएं चल रही हैं, वह भी अस्पताल हमें नि:शुल्क मुहैया करा रहा है। मेरा बच्चा अब स्वस्थ है और स्कूल भी जाने लगा है, जो सिर्फ डॉक्टर उपेंद्र और अस्पताल की बदौलत संभव हो पाया। इलाज के दौरान अस्पताल की वरिष्ठ उपाध्यक्षा अनिला जी कोठारी ने हर संभव सहयोग किया।"
अस्पताल में हिमैटोलॉजी ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ.उपेंद्र शर्मा ने कहा, "बच्चों में तीन तरह के रक्त कैंसर-अक्यूट लिंफेटिक ल्यूकीमिया, प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकीमिया, होजकिन्स लिम्फोमा-का इलाज पूरी तरह संभव है और अस्पताल में इनसे पीड़ित बच्चों का इलाज बिना किसी भेदभाव या शर्त के सर्वथा नि:शुल्क किया जा रहा है। 'डोनेट ए लाइफ-एक जीवनदान योजना' के तहत अगस्त 2014 में शुरू की गई इस परियोजना के अंतर्गत जून 2017 तक चिकित्सकों की अनुशंसा पर रक्त कैंसर से पीड़ित 85 बच्चे पंजीकृत किए गए थे। उनमें से 18 बच्चे विभिन्न कारणों से परियोजना से बाहर हो गए, बाकी 67 बच्चों का इलाज किया गया। उनमें से 46 बच्चे पूरी तरह कैंसर मुक्त हो चुके हैं और 21 नए बच्चों का इलाज चल रहा है। इलाज लगभग दो साल तक चलता है, जिसके बाद बीमारी पूर्णत: ठीक हो जाती है।"
ऐसे वक्त में जब देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े-बड़े अस्पतालों पर मरीजों से गैरवाजिब रकम वसूलने का आरोप लगाया जाता है, जयपुर स्थित भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय ने सामाजिक सरोकार और सार्थक सहयोग की अनूठी मिसाल पेश की है और उम्मीद है कि कई अन्य अस्पताल इससे सीख लेकर समाज कल्याण की दिशा में काम करेंगे। -आईएएनएस
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