नई दिल्ली 17 मई (वीएनआई) बुज़ुर्ग अवस्था में आप जितना तेज चलेंगे, आपका स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहेगा। एक शोध में यह बात सामने आई है कि जो बुजर्ग तेज गति से चलते हैं, उन्हें अल्जाइमर रोग होने का खतरा काफी कम रहता है।
अल्जाइमर एक तरह की भूलने वाली बीमारी है, जो सामान्यत बुजुर्गो में देखी जाती है, जिसमें इंसान को ‘भूलने का रोग’ हो जाता है। अल्जाइमर होने पर व्यक्ति की याददाश्त कम होने लगती हैं. वो सही समय पर ठीक से कोई निर्णय नहीं ले पाता. अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्ति को ना सिर्फ बोलने में दिक्कतें आती हैं बल्कि चीजें समझने में भी दिक्क्तें होने लगती हैं. कई कारणों से मस्तिष्क में जहरीले बीटा-एमिलॉयड प्रोटीन (एक प्रकार का अघुलनशील प्रोटीन) बढ़ने लगता है, जिसके बाद एल्जाइमर रोग होता है। अगर बुजुर्ग उचित खानपान और व्यायाम करते हैं तो उनमें यह रोग होने की आशंका काफी कम होती है।
ऑनलाइन पत्रिका 'न्यूरोलॉजी-ए' में प्रकाशित की गई शोध की रिपोर्ट के अनुसार धीमी गति से चलने से मस्तिष्क में पुटामेन जैसे कई महत्वपूर्ण हिस्सों में एमिलॉयड बनने लगता है, जो स्मरण-शक्ति को प्रभावित करता है। शोधार्थियों ने तेज चलने वालों और धीमे चलने वालों का तुलनात्मक अध्ययन किया। इसके बाद उनमें एमिलॉयड के बनने की मात्रा का आकलन किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि चलने की गति एमिलॉयड स्तर के लिए 9 प्रतिशत तक जिम्मेदार है।
वैज्ञानिकों ने जब इसका आकलन उम्र, शिक्षा स्तर व याददाश्त कमजोर होने की समस्याओं के आधार पर किया, तब एमिलॉयड के स्तर और चलने की गति के बीच संबंध की अवधारण में को बदलाव नहीं पाया।
फ्रांस की तुलूज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक नटालिया डेल कैंपो ने बताया, "यह संभव है कि धीमी गति से चलने से याददाश्त संबंधी कई तरह की समस्याएं आएं और अल्जाइमर भी हो सकता है।"
अध्ययन में औसत 76 वर्ष उम्र के 128 लोगों को शमिल किया गया था। इनमें से किसी को भी डेमेन्शिया (मनोभ्रंश) की शिकायत नहीं थी, लेकिन कुछ मानसिक परेशानियों की वजह से इनमें यह रोग होने की आशंका थी।
इनमें से 48 मरीजों में एमिलॉयड के स्तर डेमेन्शिया रोग से संबंधित थे। डेल कैंपो ने बताया कि बुजुर्गो में हालांकि धीमी गति से चलने के कई अन्य कारण भी होते हैं।