नई दिल्ली, 11 अप्रैल (वीएनआई)| विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज राज्यसभा में कहा कि 'जाधव को हर हाल में बचाने के लिए हम कोई भी रास्ता अख़्तियार करेंगे.'जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में मौत की सज़ा पाने वाले भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को बचाने के लिए भारत सरकार हर क़दम उठाएगी.उन्होंने कहा कि अगर कुलभषण को फांसी दी जाती है तो 'ये जानबूझकर की गई हत्या माना जाएगा.'विदेश मंत्री ने कहा कि वो जाधव के मां बाप के सम्पर्क में हैं और हर संभव मदद देने की कोशिश हो रही है.
दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को न्याय दिलाने के लिए भारत हर संभव प्रयास करेगा, जिन्हें पाकिस्तान में मौत की सजा सुनाई गई है।
राजनाथ ने लोकसभा में कहा, हम पाकिस्तान की इस हरकत की निंदा करते हैं। मैं सदन को आश्वासन देना चाहता हूं कि जाधव को न्याय दिलाने के लिए जो भी करना जरूरी है, हम वह सब करेंगे। राजनाथ ने कहा कि पाकिस्तान ने जाधव को सजा सुनाने में 'कानून और न्याय के बुनियादी नियमों' को नजरअंदाज किया है। राजनाथ के अनुसार, जाधव को तेहरान से अगवा कर लिया गया था और वह कोई जासूस नहीं है, जैसा कि पाकिस्तान दावा कर रहा है। उन्होंने कहा, जाधव को पाकिस्तानी मीडिया के सामने एक भारतीय जासूस के तौर पर पेश किया गया था।
राजनाथ ने आगे कहा, पाकिस्तान ने कहा है कि जाधव के पास एक वैध भारतीय पासपोर्ट मिला है। अगर उसके पास वैध पासपोर्ट था तो वह जासूस कैसे हो सकता है? इसका सवाल ही पैदा नहीं होता। पाकिस्तानी सेना के एक बयान में सोमवार को कहा गया कि जाधव को तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था। उस पर पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी और युद्ध छेड़ने का आरोप है। राजनाथ ने कहा कि जाधव व्यावसायिक कारणों से ईरान गया था जहां से पाकिस्तान ने उसे अगवा कर लिया। पाकिस्तान के बयान में जाधव को रॉ से जुड़ा अधिकारी बताया गया।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को न्याय दिलाने के लिए भारत हर संभव प्रयास करेगा, जिन्हें पाकिस्तान में मौत की सजा सुनाई गई है।
राजनाथ ने लोकसभा में कहा, हम पाकिस्तान की इस हरकत की निंदा करते हैं। मैं सदन को आश्वासन देना चाहता हूं कि जाधव को न्याय दिलाने के लिए जो भी करना जरूरी है, हम वह सब करेंगे। राजनाथ ने कहा कि पाकिस्तान ने जाधव को सजा सुनाने में 'कानून और न्याय के बुनियादी नियमों' को नजरअंदाज किया है। राजनाथ के अनुसार, जाधव को तेहरान से अगवा कर लिया गया था और वह कोई जासूस नहीं है, जैसा कि पाकिस्तान दावा कर रहा है। उन्होंने कहा, जाधव को पाकिस्तानी मीडिया के सामने एक भारतीय जासूस के तौर पर पेश किया गया था।
राजनाथ ने आगे कहा, पाकिस्तान ने कहा है कि जाधव के पास एक वैध भारतीय पासपोर्ट मिला है। अगर उसके पास वैध पासपोर्ट था तो वह जासूस कैसे हो सकता है? इसका सवाल ही पैदा नहीं होता। पाकिस्तानी सेना के एक बयान में सोमवार को कहा गया कि जाधव को तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था। उस पर पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी और युद्ध छेड़ने का आरोप है। राजनाथ ने कहा कि जाधव व्यावसायिक कारणों से ईरान गया था जहां से पाकिस्तान ने उसे अगवा कर लिया। पाकिस्तान के बयान में जाधव को रॉ से जुड़ा अधिकारी बताया गया।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस मामले मे कहा कि कहा कि सदन और देश की एकजुटता का संदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस घटना के संबंध में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन कर रहा है.
गौरतलब ्है कि कुलभूषण जाधव को तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान में जासूसी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
इससे पूर्व कुलभूषण जाधव को हत्या की सज़ा के विरोध मे महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी पाकिस्तान के राष्ट्रपति के नाम खुला ख़त लिखा है जिसमे लिखा है
सर,
पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई गई है. इंसानियत और इंसाफ के तक़ाजे के आधार पर आपसे इस ऑर्डर को रद करने की गुजारिश करते हैं. जाधव भारतीय नौसेना के सीनियर लेवल के अधिकारी रहे हैं और भारत के नागरिक हैं. इस वक्त वह पाकिस्तान की कस्टडी में हैं. भले ही यह शख्स इस तरह का उच्च पदस्थ नहीं हो और हमारा नागरिक नहीं हो लेकिन फिर भी मैं, आपसे दया की गुजारिश करता हूं. जीवन का अधिकार मूलभूत सिद्धांत है और यह किसी के किसी भी देश में रहने या राष्ट्रीयता से स्वतंत्र है.
इस तरह की गुजारिश करना मेरी ड्यूटी है. हालिया अतीत में इसी तरह की दया की गुजारिश मैंने अपने राष्ट्रपति से भी की थी. आपसे गुजारिश है कि आप अपने उच्च पद के अंतर्गत निहित अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सैन्य अदालत के आदेश को रद कर दें. इस आदेश के जरिये राज्य की जो भयावह अमानवीयता, बर्बरता और नैतिक खोखलापन परिलक्षित हो रहा है और एक व्यक्ति के जीने के अधिकार से वंचित करने की दुर्भाभनापूर्ण आक्रामकता प्रकट हो रही है, उसको रोकने की आपसे अपील करता हूं.
यह गुजारिश केवल एक व्यक्ति का जीवन अधर में लटकने की पीड़ा से नहीं उपजा है, बल्कि दंड के आदिम तरीकों के इस्तेमाल के बरकरार रहने से उपजी है.
माननीय राष्ट्रपति, इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इसके माध्यम से आपको एक ऐसा अवसर मिला है जिसके जरिये उन लोगों के बीच इस तरह के भरोसे और आशा का माहौल बन सकता है जो यह मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के खिलाफ घृणा के माहौल में नहीं रह सकते बल्कि एक-दूसरे की महान जनता के लिहाज से इनकी नियति एक-दूसरे के साथ आदर और सद्भाव के माहौल में रहना ही निहित है.
आपका
गोपालकृष्ण गांधी