नयी दिल्ली 4 सितंबर( वीएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कल गंगा की सफाई को लेकर केंद्र सरकार के प्रति नाराज़गी दिखाते हुए कहा कि सरकार का जो एक्शन प्लान है, उससे आने वाले 200 सालों में भी गंगा साफ नही हो सकती,। केंद्र की योजनाओं की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वह तीन हफ्ते के अंदर गंगा की सफाई से जुड़ा चरणबद्ध प्लान पावर प्वाइंट प्रेजेेंटेशन बनाकर पेश करे।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर 29 बड़े शहरों, 23 छोटे शहरों और 48 नगरों से गुजरने वाली 2500 किलोमीटर लंबी गंगा को साफ करने की अपनी योजना बताई है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय इससे संतुष्ट नहीं दिखा। कोर्ट ने कहा कि यह ब्यूरोक्रेटिक है और आम आदमी इसे नहीं समझ सकता। जजों ने कहा, \'हम यह नहीं जानना कि आप क्या कमिटि बना रहे हैं और कौन सी कमिटि कौन सा काम करेगी। हमें बताइए कि एक आम आदमी क्या उम्मीद करे, गंगा कैसे साफ होगी। बेहतर होगा, आप हमें एक पावर पॉइट प्रजेंटेशन दें। साथ ही, मील के पत्थर भी बनाएं ताकि पता चल सके कि क्या प्रगति हो रही है।\'
सरकार की ओर से बहस करते हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा था कि इलाहाबाद में गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित है। उन्होंने कहा कि जब वह इलाहाबाद गए, तो उन्हें डुबकी लगाने को कहा गया, लेकिन उन्होंने इसके प्रदूषित होने की वजह से इनकार कर दिया।गौरतलब है कि सरकार ने अपने हलफनामे ने कहा था कि वह गंगा की सफाई को लेकर प्रतिबद्ध है और यह उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। हलफनामे के मुताबिक, आईआईटी के इंजीनियरों से इस संदर्भ में मदद मांगी गई है और साल के आखिर तक योजना को आखिरी रूप दे दिया जाएगा।
सनद रहे गंगा की सफाई बीजेपी सरकार की तरफ से किया गया चुनावी वादा है।