पुणे, 31 अगस्त, (वीएनआई) पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हाल में की गई गिरफ्तारियों पर बयान देते हुए कहा कि भीमा कोरेगांव हिंसा राज्य सरकार के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश थी और पुलिस के पास इसके पर्याप्त सबूत हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने का प्लान घटना के 8 महीने पहले ही बनाया जाने लगा था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि जो कागजात और अन्य चीजें बरामद की गई हैं, वो साबित करने के लिए काफी हैं कि इनका भीमा कोरेगांव हिंसा से संबंध था और एल्गर परिषद रैली भी इसका ही एक हिस्सा थी। इस मामले की जांच के दौरान इसमें माओवादियों के शामिल होने के संकेत मिले थे जबकि दूसरी ओर कुछ हिंदू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की तरफ भी इशारा किया गया था। पुलिस अधिकारी के वेंकटेशम ने बताया कि माओवादियों से वामपंथी विचारकों के संबध का मामला एल्गर परिषद तक नहीं है, बल्कि इससे भी बड़ा है। गौरतलब है कि गिरफ्तार पांचों वामपंथी विचारकों को सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर तक के लिए नजरबंद रखने का आदेश दिया था। कोर्ट के इस आदेश को पुणे पुलिस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
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