राष्ट्रपति ने कहा विपश्यना आत्मबोध में सक्षम बनाती है

By Shobhna Jain | Posted on 14th Jan 2018 | देश
altimg

मुंबई, 14 जनवरी (वीएनआई)| राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि विपश्यना साधना से मस्तिष्क शुद्ध रहता है और इसके अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है और इसका शरीर व दिमाग पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है जिसका लाभ अंतत: पूरे समाज को मिलता है। 

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि विपश्यना तीन नियमों, नैतिकता, एकाग्रता और आत्मबोध- से मिलकर बनी है और यह मूल्य जागरूकता व आत्मनिरीक्षण से आते हैं। यह एक गैर सांप्रदायिक ध्यान पद्धति है और यह जाति, धर्म, भाषा, लिंग व आयु से निरपेक्ष सभी मानवों पर समान रूप से लागू होती है। राष्ट्रपति ने उत्तर पश्चिम मुंबई के गोराई में विपश्यना वैश्विक पगोडा में दूसरे धम्मालय ध्यान केंद्र की आधारशिला रखने के बाद कहा कि विपश्यना ध्यान विधि भगवान बुद्ध द्वारा सिखाई गई। इसने न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत व दुनिया के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।

राष्ट्रपति ने उस पगोडा में वैश्विक विपश्यना फाउंडेशन (जीवीएफ) के 'आभार दिवस' में भी भाग लिया, जो विश्व का सबसे बड़ा गुंबद है, जिसके निर्माण में खंभों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। यह अरब सागर के तटीय इलाके के गोराई गांव में स्थित है।  'आभार दिवस' जीवीएफ संस्थापक एस.एन. गोयंका के शिक्षक सयागी यू बा खिन की 46 पुण्यतिथि की याद में आयोजित होता है। बा खिन बर्मा के पहले एकाउंटेंट जनरल थे व विपश्यना के प्रमुख प्राधिकारी थे, जिनकी याद में पगोडा बनाया गया। इसका उद्घाटन 2009 फरवरी में किया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विश्व का सबसे बड़ा पगोडा यहां है और जीवीएफ केंद्र इगतपुरी (नासिक) व देनगन पैलेस (नागपुर) विपश्यना ध्यान केंद्र को लोकप्रिय बना रहे हैं। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीवी राव, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा व दूसरे गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

बल बाहुबली का
Posted on 12th May 2017
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india