नई दिल्ली, 18 नवंबर (वीएनआई)| राष्ट्रपति कोविंद ने भविष्य की जरूरतों के लिए 'इंटर-डिसिप्लिनरी' पद्धति की आवश्कता बताते हुए आज कहा कि अग्रणी शिक्षण संस्थानों को नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाना होगा।
राष्ट्रपति दिल्ली विश्वविद्यालय में 94वां दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अकादमिक विषय-वस्तु के और शिक्षण की क्रियाविधि के मामले में विश्विविद्यालयों को नवाचारी कार्य करना होगा। राष्ट्रपति ने कहा, हम ऐसी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता उस तरह नहीं बदल रही है जिस तरह हमारा समाज बदलता है, बल्कि समाज के चिंतन के अनुरूप बुद्धि में भी बदलाव आ रहा है। हम उस समाज के साथ खड़े हैं जिसकी रचना संज्ञानात्मक मशीनों से हुई है। हमारे सामने अपरिमित चुनौतियां व संभावनाएं हैं-खासतौर से उनके सामने जो अभी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे हमारे अग्रणी संस्थानों को भी नवीनतम तकनीक अपनाना होगा। उनको अकादमिक विषय-वस्तु और शिक्षण की क्रियाविधि में नूतन प्रयोग करने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के बीच जो परंपरागत बाधाएं थी जिन्हें कभी अलंघनीय माना जाता था अब वे टूट रही हैं। उन्होंने कहा, "शिक्षा प्रणाली में नये पाठ्यक्रम व कार्यक्रम शामिल करने पर विचार करना होगा, जोकि अगले 25 से 30 साल तक की जरूरतों को पूरा करने वाला हो। उनमें से कुछ ऐसे होंगे जिन्हें बहु-विधात्मक या अंतर-विधात्मक पद्धति के रूप में अपनाना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय कई मायनों में पूरे भारत का विश्वविद्यालय है। उन्होंने आगे कहा कि यहां देश के हर राज्य और क्षेत्र का प्रतिनिधित्व देखने को मिलता है।
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