नई दिल्ली 6 मार्च (साधनाअग्रवाल/वीएनआई) ज्योतिर्विदो के अनुसार कई वर्षों बाद कल,यानि 7 मार्च को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि पर एक अद्भुत शुभ संयोग बन रहा है। बारह वर्ष बाद शिवरात्रि सोमवार को पड रही है और अब बारह वर्ष बाद ही यह संयोग फिर आयेगा. । इसलिए इस महाशिवरात्रि का महत्व कई गुना अधिक होगा। सोमवार की शिवरात्रि को लेकर भक्तों में भी उत्साह है। ज्योतिर्विदों के मुताबिक दोनों संयोग के कारण महाशिवरात्रि में अभिषेक-पूजन विशेष फलदायी होगी। महाशिवरात्रि में त्रयोदशी और चतुर्दशी का शुभयोग होता है। इस शिवरात्रि में दोपहर 11.01 बजे तक त्रयोदशी है और उसके बाद चतुर्दशी लग जाएगी। दोनों तिथियों का दिन में पडऩा भी सुखद माना जा रहा है।
सोमवार भगवान शिव का दिन है और इस बार की शिवरात्रि में पूजन अर्चन विशेष फलदायी होगा। महाशिवरात्रि में नवग्रह शांति की पूजा करनी चाहिए। शिवरात्री की तैयारियां मंदिरों में शुरू हो गई हैं। शिवरात्री के दिन भगवान की 24 घंटे तक आरती होगी। रात 2 बजे से भगवान शिव का अभिषेक शुरू हो जाएगा. सोमवार का दिन तो वैसे भी शिव का प्रिय दिन है। इस दिन दुर्लभ शिवयोग का संयोग श्रद्घालुओं के लिए विशेष फलकारी है। १२ साल बाद बना यह योग लोगों के जीवन में शिव की कृपा प्राप्ति में सहायक रहेगा। साथ ही इस दिन पंचग्रही और चांडाल योग भी रहेगा।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस संयोग के चलते इस महाशिवरात्रि का महत्व कई गुना अधिक होगा। इस शिवरात्रि पर शिव की आराधना का भक्तों को कई गुणा अधिक फल प्राप्त होगा। भगवान रुद्र रूप में प्रकट हुए थे। इस वर्ष महाशिवरात्रि का यह अदभुत संयोग महादेव की आराधना के लिए सर्वोत्तम होगा। भगवान को जलाभिषेक व पूजा-पाठ करने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहेगी। धार्मिक कार्यों की दृष्टि से यह खास माना गया है।
देश भर के शिव मंदिरों और शिवालयों में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। शास्त्र्विदो के अनुसार महाशिवरात्रि का पावन दिन सभी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान दिलाने वाला सुअवसर प्रदान करता है। अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो भगवान शिव और जगत जननी के विवाह दिवस यानी महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर 'ओम् नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। महाशिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु शिव मंदिरों में जाकर भगवान शंकर की पूजा करते हैं। महाशिवरात्रि पर दिनभर पूजन के बाद शाम को शिवजी की बारात धूमधाम से निकलती है। शास्त्रों में सोमवार को भगवान शंकर हेतु विशेष माना जाता है क्योंकि सोमवार चंद्रदेव को समर्पित है व भगवान शंकर को चंद्रशेखर भी कहा जाता है। भगवान शंकर के पूजन से सुख-समृद्धि मिलेगी। इस बार शिव योग रात 8.18 बजे तक रहेगा। सोमवार शिव आराधना के लिए श्रेष्ठ होता है
इस बार सात मार्च को मनाए जा रहे महाशिवरात्रि पर्व पंचग्रही व शिव योग में मनाया जाएगा। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र व केतु का मिलन होगा। जिससे इसकी मान्यता और भी बढ़ जाती है। इस बारे में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि कुंभ राशि में पाच ग्रहों का यह योग महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा करने वाले शिव भक्तों को स्थिर लक्ष्मी व अरोग्यता प्रदान करेगा। जो व्यक्ति पूरे वर्ष कोई उपवास नहीं रखता है, लेकिन वह केवल शिवरात्रि का ही व्रत कर लेता है तो उसे साल भर किए जाने वाले उपवासों के बराबर फल की प्राप्ति होती है। वी एन आई