नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आश्वस्त किया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था का क्रियान्वयन 'बेहद सुचारू' तरीके से होगा, साथ ही उन्होंने वादा किया कि प्रशासन बेहद उदारता बरतेगा और पहले दो महीने तक इसके क्रियान्वयन में किसी तरह की कड़ाई नहीं की जाएगी।
उन्होंने हालांकि यह स्वीकार किया कि व्यापक बदलाव में थोड़ी बहुत परेशानी होगी और कहा कि समय के साथ चीजें आसान हो जाएंगी।
वित्त मंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि जीएसटी का क्रियान्वयन जितना संभव हो सकेगा, उतने सुचारू रूप से किया जाएगा। जब व्यापक बदलाव होता है, तो एक अज्ञात अनिश्चितता का तत्व होता है और चीजें जब अज्ञात होती हैं, तो डर भी होता है। पूरी प्रक्रिया बदलेगी। कुछ मामूली दिक्कतें पेश आएंगी..मुझे लगता है कि यह कुछ ही दिनों की बात है।"
आज तक जीएसटी कॉन्क्लेव में वित्त मंत्री एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि नई कर व्यवस्था के सुचारू रूप से लागू होने की उन्हें कितनी उम्मीद है।
उन्होंने कहा, "पहले दो महीने तक हम बेहद उदारता से पेश आएंगे। दो महीनों के लिए हमने कई तरह की छूट दी है, क्योंकि हम नई व्यवस्था में प्रवेश करने जा रहे हैं।"
जेटली ने कहा, "जागरूकता की कमी के कारण खामियां हो सकती हैं। किसी भी तकनीक में खामी संभव है। लेकिन खामियों को तत्काल दूर कर लिया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि जीएसटी को एक जुलाई से लागू करने का फैसला उनका अपना नहीं, बल्कि जीएसटी परिषद का था।
वित्त मंत्री ने कहा, "पिछले साल संविधान संशोधन 15 सितंबर तक मान्य था। 15 सितंबर के बाद हमें कर मुक्त व्यवस्था करनी होती। संविधान इसकी इजाजत नहीं देता। अगर हम छह महीने तक इसे स्थगित कर दें, तो समाज में अराजकता फैल जाएगी।"
उन्होंने कहा कि कर की एक से अधिक दर महंगाई पर नजर रखने के लिए चुनी गई थी।
जेटली ने कहा, "मुद्रास्फीति को रोकने के लिए कर की एक से अधिक दर की जरूरत है। मुद्रास्फीति से संबंधित प्रभाव को रोकने के लिए कर की 12, 18 फीसदी दरें आवश्यक है। बाद में उन्हें 15 फीसदी किया जा सकता है।"
उन्होंने कहा, "अगर आप करों की संपूर्ण दर तथा गुड्स बास्केट पर निगाह डालेंगे तो राजस्व बढ़ेगा, लेकिन बोझ घटेगा।"
जेटली ने हालांकि यह कहने से मना कर दिया कि सकल घरेलू उत्पाद विकास (जीडीपी) दर को बढ़ावा देने में जीएसटी कितना कारगर साबित होगा।
उन्होंने कहा, "अगर नए कानून का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा, तो अर्थव्यवस्था में विकास होगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा। साथ ही अर्थव्यवस्था की दक्षता में भी इजाफा होगा।"
--आईएएनएस