नई दिल्ली,१ जून (वी एन आई) केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इन तीन वर्षों में सरकारने सख्त निर्णय लिए, भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किए और इसमें नोटबंदी एक बड़ा कदम था. हमने विदेशी निवेश बढ़ाने का काम किया और देश की छवि बदलने से इसमें फायदा मिला.साथ ही उन्होने देश के विकास की रफ्तार में आई गिरावट के लिए दुनिया भर में जारी आर्थिक मंदी और यू पी ए सरकार का काम को जिम्मेदार ठहराया है.गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रफ्तार पिछले वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी रही थी वहीं, वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान जीडीपी ग्रोथ महज 6.1 फीसदी पर अटक गई.
अरुण जेटली ने आज यहा मोदी सरकार के तीन साल के कामकाज का लेखा-जोखा पेश करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, इन तीन वर्षों में हमने सख्त निर्णय लिए, भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किए और इसमें नोटबंदी एक बड़ा कदम था. हमने विदेशी निवेश बढ़ाने का काम किया और देश की छवि बदलने से इसमें फायदा मिला.
एक सवाल के जबाव मे उन्होने कहा,भारतीय अर्थव्यस्था पर दुनिया के स्लो डाउन का असर पड़ा है. इसके साथ ही सरकार के तीन साल के कामकाज का ब्यौरा देते हुए जेटली ने कहा, 'पिछले तीन 3 साल आर्थिक चुनौती भरे रहे, इस दौरान दो साल मानसून भी कमजोर रहा. हमें विरासत में खराब अर्थव्यवस्था मिली, जहां भ्रष्टाचार व्याप्त था. हालांकि पिछले तीन वर्षों को देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा बढ़ा है.'
उन्होंने कहा, इन तीन वर्षों में हमने सख्त निर्णय लिए, भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किए और इसमें नोटबंदी एक बड़ा कदम था. हमने विदेशी निवेश बढ़ाने का काम किया और देश की छवि बदलने से इसमें फायदा मिला.
गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रफ्तार पिछले वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी रही थी. वहीं, पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 6.1 फीसदी रही और इस वजह से भारत का सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा भी छिन गया है. चौथी तिमाही में ग्रोथ का आंकड़ा इतना कम रहने की बड़ी वजह नोटबंदी को माना जा रहा है.
वित्त मंत्री ने तीन साल के कामकाज का लेखा-जोखा पेश करते हुए कहा कि तीन साल पहले नीतिगत पंगुता की स्थिति थी. नीतिगत सुधारों की प्रक्रिया सुस्त थी. दुनिया भर में हमारी अर्थव्यवस्था के बारे में धारणा कमजोर थी. पिछले तीन वर्षों में से दो बार कमजोर मानसून की स्थिति रही. इन विषम परिस्थितियों के बावजूद हमने इन वर्षों में अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा फिर से बहाल किया है. इसके मुख्य रूप से तीन कारण हैं- निश्चयात्मक रुख यानी सख्त फैसले लेने की योग्यता, स्पष्ट सोच और वृद्धि की दिशा. हमने ऐसे फैसले लिए हैं जिनसे आर्थिक वृद्धि के साथ हर तबके के विकास का भी सुनिश्चित किया गया है.
प्रत्यक्ष विदेशी नीति (एफडीआई) ने इस दिशा में अहम रोल निभाया है. हम सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त करने वाले देश बन चुके हैं. हमने राज्यों को भी मजबूत करने का प्रयास किया है. भारत में हम आम सहमति के आधार पर एक संघीय कर ढांचे (जीएसटी) को अंतिम रूप दे रहे हैं. एक बार जब इसका क्रियान्वयन हो जाएगा तो हमें इसके लाभ मिलेंगे. सरकार ने सभी इकोमॉनिक लीकेज खत्म करने की कोशिश की है.
भारत-पाक संबंधों पर बोलते हुए अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने समस्या के समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए. पीएम मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री समेत सार्क नेताओं को आमंत्रित किया. उसके बाद उन्होंने लाहौर की यात्रा की. ये सारे कदम अपने पड़ोसी के साथ तनाव को कम करने की दिशा में ही उठाए गए. लेकिन इसका जवाब पठानकोट, उड़ी और सैनिकों के साथ बर्बरता के रूप में दिया गया. बातचीत के माहौल को पाकिस्तान ने खत्म किया.