चेन्नई, 5 मई ( वीएनआई ) इसरो ने भारत की स्पेस डिप्लोमैसी के तहत तैयार हुए दो टन वज़नी साउथ एशिया सैटेलाइट (GSAT- 9)का ऐतिहासिकप्रक्षेपण कर दिया है
आंध्र प्रदेश स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण मंच से भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-एफ09) ने ठीक शाम 4.57 बजे अंतरिक्ष की तरफ प्रस्थान किया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ये सैटेलाइट तीन साल में बनाया है यह सैटेलाइट 12 साल तक काम करेगा।
प्रधानांमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सार्क देशों के राष्ट्रप्रमुखों को इसकी जानकारी दी. प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को इस कामयाबी के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक अवसर है। हमें आप पर गर्व है।मोदी ने कहा कि इस सैटेलाइट से मौसम की अधिक विश्वसनीय भविष्यवाणी की जा सकेगी.450 करोड़ रुपए की लागत वाले 'साउथ एशिया सैटेलाइट' को मोदी ने सार्क देशों के लिए 'अनमोल तोहफ़ा' बताया ."बता दें कि 3 साल पहले नरेंद्र मोदी ने इसरो से सार्क देशों के लिए सैटेलाइट बनाने के लिए कहा था।
50 मीटर ऊंचे रॉकेट के जरिए भेजा गया यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में शांतिदूत की भूमिका निभाएगा. इसरो ने लॉन्चिंग के लिए पहली बार इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया। इससे 25% तक ईंधन बचेगा।
सैटेलाइट महज 80 किलो केमिकल ईंधन से 12 साल तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। आमतौर पर 2000-2500 किलो का सैटेलाइट भेजने में 200 से 300 किलो केमिकल ईंधन लगता है।
यह एक संचार उपग्रह है, जो नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान को दूरसंचार की सुविधाएं मुहैया कराएगा. सार्क देशों में पाकिस्तान को छोड़ बाकी सभी देशों को इस उपग्रह का फायदा मिलेगा.इस सैटेलाइट का नाम पहले सार्क सैटेलाइट रखा गया था। पर पाकिस्तान के बाहर होने के बाद इसका नाम साउथ एशिया सैटेलाइट कर दिया गया। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी की तारीफ की है। साथ ही, ये भी कहा कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ स्पेस रिलेशन मजबूत करने की योजना में चीन को बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए।गौरतलब है कि भारत के दो पड़ोसी देशों, पाकिस्तान और श्रीलंका के लिए चीन ने सैटेलाइट बनाकर छोड़े हैं. बाक़ी देशों को भी चीन मदद करने के लिए तैयार है. विशेषज्ञों के अनुसार भारत का यह कदम पड़ोसी देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुक़ाबला करने में काम आएगा.
इसरो के अनुसार इसके ज़रिए सभी सहयोगी देश अपने-अपने टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण कर सकेंगे. किसी भी आपदा के दौरान उनकी संचार सुविधाएं बेहतर होंगी. इससे देशों के बीच हॉट लाइन की सुविधा दी जा सकेगी और टेली मेडिसिन सुविधाओं को भी बढ़ावा मिलेगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, "भारत अपने पड़ोसियों के लिए अपना दिल खोल रहा है। इस योजना में किसी अन्य देश का कोई भी खर्च नहीं होगा। अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, मालदीव, बांग्लादेश और श्रीलंका ने मिशन का हिस्सा बनने की मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान को इससे बाहर रखा गया है।"